नई दिल्ली (New Delhi)। ब्रिटेन (capital london)की राजधानी लंदन(capital london) में किसानों ने संसद के पास ट्रैक्टर मार्च (tractor march)निकालकर अपना विरोध-प्रदर्शन दर्ज (protest registered)कराया है। सोमवार को बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर चलाकर वहां पहुंचे और धीमी गति में पार्लियामेंट स्क्वायर पर ट्रैक्टर मार्च किया। ये किसान ब्रेक्जिट के बाद सुपरमार्केट कीमतों में कमी करने, कम कीमत पर कृषि उपज खरीदे जाने और सस्ते सब स्टैंडर्ड खाद्य आयात किए जाने से नाखुश हैं। सौमवार को ट्रैक्टर मार्च में देश के कई हिस्सों से आए किसानों ने भाग लिया। इन किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी आजीविका और खाद्य सुरक्षा दोनों को संकट में डाल रही है।
‘सेव ब्रिटिश फार्मिंग एंड फेयरनेस फॉर फार्मर्स ऑफ केंट’ अभियान समूह के समर्थक सोमवार को दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड और राजधानी के दक्षिणी जिलों से होते हुए पार्लियामेंट स्क्वायर की ओर बढ़े, जहां दर्जनों किसान और समर्थक उनके स्वागत के लिए इंतजार कर रहे थे। इस दौरान किसानों ने “घटिया आयात बंद करो” लिखे साइन बोर्ड लहराए। सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते और अपनी मांगों के समर्थन में नारा लगाते हुए दर्जनों ट्रैक्टरों पर सवार किसान एक कतार में टेम्स नदी के किनारे-किनारे संसद भवन की ओर बढ़े और हॉर्न बजाते हुए पार्लियामेंट स्क्वायर का चक्कर लगाया।
हाल के महीनों में पूरे ब्रिटेन में खासकर वेल्स और दक्षिणी इंग्लैंड में किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले सप्ताह ही ग्रामीण मामलों के मंत्री लेस्ली ग्रिफिथ्स के निर्वाचन क्षेत्र में उनके दफ्तर के बाहर बड़ी संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर पार्क कर दिया था हॉर्न बजाकर उनका विरोध किया था।
हालांकि, ब्रिटेन ने अभी तक बड़े पैमाने पर किसानों का विरोध प्रदर्शन नहीं देखा है, जैसा कि फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों में किसानों का प्रदर्शन हुआ है और किसान कई शहरों को जाम कर चुके हैं। 27 देशों के यूरोपीय संघ के किसानों ने लालफीताशाही करने, अनावश्यक नियमों को थोपने और विदेशों से गैर वाजिब प्रतिस्पर्धा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। उनका आरोप है कि सरकार के ये कदम किसानों को दिवालियापन की ओर ले जा रहे हैं।
दरअसल, ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने से ब्रिटेन की कृषि पर भारी असर पड़ा है। ब्रिटेन अब मुक्त व्यापार क्षेत्र के तहत आ गया है और कृषि नियमों के जटिल जाल से निकल गया है। कई ब्रिटिश किसानों ने यूरोपीय संघ की आलोचना वाली सामान्य कृषि नीति के विरोध में ब्रेक्जिट का समर्थन किया था लेकिन अब उनका मानना है कि ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड समेत कई देशों के बीच ट्रेड डील ने आयात के द्वार खोल दिए हैं, जिससे ब्रिटिश उत्पादकों को नुकसान हो रहा है और घटिया स्तर के सामान आयात किए जा रहे हैं।
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