इंदौर। उज्जैन (Ujjain) से सीधा पीथमपुर (Pitampur) को जोडऩे की कवायद के चलते तीन जिले के किसानों (Farmer) में जहां कहीं खुशी, कहीं गम का माहौल है, वहीं जमीनों (Land) के भाव उछाले खाने लगे हैं। योजना के तहत उज्जैन, इंदौर (ujjain Indore) और धार (Dhar) की परिसीमा में आने वाले तकरीबन 57 किलोमीटर (KM) के मार्ग के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने भी काम करना शुरू कर दिया है और सडक़ मार्ग के सर्वे में शामिल खसरों को जहां चिह्नित कर लिया गया है, वहीं बनने वाली 75 मीटर की सडक़ के दाएं और बाएं करीब 100-100 मीटर के खसरों को बफर झोन बनाया जा रहा है। इसके लिए फिलहाल नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने 150-150 मीटर तक के खसरों के नक्शे पास करने पर रोक लगा दी है।
उज्जैन से सीधे पीथमपुर को जोडऩे का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अभी दोनों शहरों (City) की दूरी तकरीबन 90 किमी के करीब होती है और इस मार्ग पर यातायात का भारी दबाव रहता है और इंदौर की शहरी सीमा लगने से इस दूरी को तय करने में तकरीबन डेढ़ घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है। उज्जैन-पीथमपुर के फोरलेन बनने से इसकी दूरी तकरीबन 57 किमी के करीब आएगी और सरपट मार्ग से गुजरने में एक घंटे का समय भी नहीं लगेगा। पिछले एक महीने से इस मार्ग पर सर्वे का काम तेजी से शुरू हुआ है। जल्द ही सर्वे रिपोर्ट एनएचएआई को सौंपी जाना है। बताया जा रहा है कि 57 किमी के सर्वे मार्ग में फोरलेन के लिए 450 मीटर का बफर झोन रोड अलाइनमेंट के लिए बनाया जाना है। इसमें 75 मीटर फोरलेन के लिए सडक़ की दोनों ओर 150-150 मीटर की अतिरिक्त जगह और 75 मीटर अतिरिक्त फोरलेन के लिए भूमि आरक्षित की जा रही है। यानी कुल 375 मीटर बफर झोन बनाया जाएगा।
सडक़ बनने में सालों लगेंगे, मगर अभी से जमीनों के भाव में तेजी
सरकार (Government) द्वारा घोषित योजना का अभी सर्वे ही जारी है और योजना में राज्य और केंद्र सरकार (Central Government)की भागीदारी तक तय नहीं हुई है, लेकिन मार्ग को लेकर हुई हलचलों के चलते जिन इलाकों से सडक़ गुजरना है, उसके आसपास की जमीनों के भाव में जबरदस्त तेजी आ गई है, जबकि हालत यह है कि अभी इन जमीनों पर पहुंचने का मार्ग तक उपलब्ध नहीं है और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से भी नक्शा पास कराने में मुश्किलें आ सकती हैं, क्योंकि जब तक मार्ग का गजट नोटिफिकेशन नहीं होता है, तब तक उसे सडक़ मानकर नक्शे पास नहीं किए जा सकते हैं। उलटा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने सर्वे की जमीनों के आसपास बफर झोन घोषित कर दिया है।
क्यों रखा गया है 100 से 150 मीटर तक का बफर झोन…मुआवजे में नकद धनराशि से लेकर विकसित भूखंडों तक की भागीदारी का प्रावधान
दरअसल यह मार्ग किस योजना के तहत बनना है अभी यह तय नहीं हो पाया है। उक्त मार्ग को यदि राज्य सरकार बनाती है तो उसे मार्ग का खर्च जमीन से ही निकालना पड़ेगा। इसके लिए 75 मीटर के मार्ग के दोनों ओर की 100-100 मीटर की जमीन अधिगृहीत की जाएगी। इस जमीन को बेचने पर मिलने वाली राशि से मुआवजे के साथ ही मार्ग का खर्च भी निकाला जाएगा। फिलहाल टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा मार्ग के दाएं और बाएं 150 -150 मीटर तक के नक्शों पर रोक लगाई गई है। इसका कारण यह है कि रोड अलाइनमेंट के चलते यदि मार्ग की स्थिति परिवर्तित होती है तो मार्ग के दोनों ओर 50-50 मीटर तक की अतिरिक्त भूमि भी उपलब्ध रहे। इसके अलावा यह भी हो सकता है कि यदि मार्ग बनते-बनते लागत बढ़ जाए तो उसे समायोजित करने के लिए अधिगृहीत की जाने वाली भूमि का क्षेत्रफल 100 से बढ़ाकर 150 मीटर तक किया जा सकता है। इस योजना से जिन किसानों की भूमि अधिगृहीत होगी उन्हें फायदा कम मिलेगा, लेकिन नुकसान नहीं होगा, क्योंकि सरकार द्वारा अधिगृहीत जमीनों का या तो मुआवजा दिया जाएगा या फिर भागीदारी योजना के अंतर्गत बफर झोन में से विकसित भूखंड दिए जा सकते हैं। हालांकि सरकार को मुआवजे को लेकर कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन किसानों को संतुष्ट रखने के लिए उक्त योजना में मुआवजे का भी प्रावधान रखा जा रहा है।
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