रोहतक। राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की मांग पर तत्काल विधानसभा का आपात-सत्र बुलाकर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराई जाए ताकि ये स्पष्ट हो कि कौन सा विधायक जनता के साथ है और कौन सा विधायक सरकार के साथ है।
उन्होंने कहा कि भाजपा-जजपा नेता व सरकार में बैठे लोग उकसाने वाली, ग़ैर जिम्मेदाराना भाषा व उकसाने वाले कदम न उठाएं, इसमें किसी का लाभ नही हैं। उन्होंने कहा कि अनुशासन व शांति किसान आंदोलन के दो गहने हैं व दो सबसे बड़े भी हथियार हैं। इसी मार्ग पर अडिग रहना सबसे बड़ी ताकत है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि वो किसानों से टकराने और टरकाने की बजाय स्थिति की गम्भीरता समझे और तुरंत किसानों की मांगें माने। किसानों की मांगों को स्वीकार करने में हार न समझे भारत सरकार। राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र ने आज यहां जारी बयान में कहा किआठ विधायक, डीजीपी, दो आईजी, पांच एसपी, 19 डीएसपी, पांच हजार सिपाहियों की भारी भरकम फौज लगाकर भी सरकार मुख्यमंत्री के गृह-क्षेत्र में प्रदेश-स्तर की पंचायत नहीं करा पाई।
इस घटना से एक बात स्पष्ट हो गई है कि प्रदेश की जनता का विश्वास इस सरकार से पूरी तरह उठ चुका है और प्रदेश सरकार के मुखिया अपने इलाके में भी लोगों का भरोसा खो चुके हैं। जनभावना को समझने का इससे आसान तरीका और कोई नहीं हो सकता। जनता का विश्वास डंडे से नहीं बल्कि प्यार से जीता जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार न सिर्फ इतने बड़े आंदोलन की अनदेखी कर रही है बल्कि, किसानों की शहादत को भी नजऱअंदाज़ कर रही है। हर रोज किसान दिल्ली की सीमाओं पर अपनी शहादत दे रहे हैं, लेकिन सरकार सत्ता के नशे में चूर होकर आँखें और कान बंद किये बैठी है। उसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीक़े से उठाई जा रही किसानों की आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही है और तो और सत्ता की ताकत के सहारे सरकार किसानों की प्रजातांत्रिक आवाज़ को कुचलने की कोशिश कर रही है। सरकार इस आवाज़ को जितना दबाएगी, उसकी गूंज उतनी ही ज़ोर से सुनाई देगी। सांसद दीपेन्द्र ने फिर दोहराया कि अविलंब संसद का सत्र बुलाकर किसानों की मांगों को पूरा किया जाए। (एजेंसी, हि.स.)
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