– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने का लगातार प्रयास कर रही है। छह वर्ष के दौरान अनेक कदम उठाए गए हैं। उनको इतनी सुविधाएं पहले कभी उपलब्ध नहीं कराई गई। यूपीए सरकार ने दस वर्षों में एकबार किसानों की कर्ज माफी की थी। उस समय किसानों के पास जनधन खाते नहीं थे। ऐसे में किसानों को इस कर्ज माफी का पर्याप्त लाभ नहीं मिला था। यूपीए सरकार इसी को अपनी उपलब्धि बताती रही क्योंकि उसके पास किसान हित के नाम पर ज्यादा कुछ बताने के लिए नहीं था। जबकि नरेंद्र मोदी सरकार की इस क्षेत्र में बेहतरीन उपलब्धियां है। अब किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री ने कच्छ में किसानों से बात की, यह बताया कि विपक्षी पार्टियां कृषि कानून पर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं। उनका विरोध कल्पना पर आधारित है।
किसानों के विरुद्ध साजिश
इस समय किसानों के नाम पर नकारात्मक राजनीति चल रही है लेकिन इसका क्षेत्र सीमित है। नरेंद्र मोदी ने इसका उल्लेख किया। कहा कि दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है। किसानों को डराया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि नए कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे। जबकि ऐसा सोचने का कोई आधार नहीं है। गुजरात में पशुपालकों व कम्पनियों के बीच कॉन्ट्रेक्ट आधार पर व्यवसाय चल रहा है। डेरीवाले पशुपालकों से दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करते हैं, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि उद्यमी पशुपालकों की मवेशी ले गए हों। इस योजना से पशुपालकों को लाभ मिल रहा है। ऐसा ही लाभ किसान को भी मिलेगा। इसकी व्यवस्था नए कृषि कानून में की गई है। फल-सब्ज़ी व्यवसाय में लगे उद्यमी, किसान की जमीन पर कब्जा नहीं करते हैं। देश में डेरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में पच्चीस प्रतिशत से भी ज्यादा है। यह योगदान करीब आठ लाख करोड़ रुपए होता है। दूध उत्पादन का कुल मूल्य अनाज और दाल के कुल मूल्य से भी ज्यादा होता है। इस व्यवस्था में पशुपालकों को आजादी मिली हुई है। कृषि कानून के माध्यम से ऐसी ही आजादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को मिलेगी।
ऐसा भी नहीं कि कृषि कानून आकस्मिक रूप से लागू कर दिए गए। सुधारों की मांग बरसों से की जा रही थी। कांग्रेस ने चुनाव घोषणापत्र में ऐसे सुधारों का वादा किया था। यूपीए सरकार के कृषि मंत्री ने इसके लिए मुहिम भी चलाई थी। अनेक किसान संगठन भी पहले ही मांग करते थे। कृषि कानून में किसान को कहीं पर भी अनाज बेचने का विकल्प दिया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज विपक्ष के वही लोग किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। वे भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे। लेकिन अपनी सरकार के रहते वे निर्णय लेने का साहस नहीं दिखा सके।
सरकार आशंका समाधान को तैयार
आंदोलनकारियों से वार्ता का प्रस्ताव सरकार ने ही किया था। कई दौर की वार्ता हुई। नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों की प्रत्येक आशंका के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है। किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है। खेती पर किसानों का खर्च कम करने व लाभ बढ़ाने के प्रयास किये गए। किसानों को विकल्प प्रदान किये गए। उनकी कठिनाइयों को दूर करने के निर्णय लिए गए।
किसानों के नाम पर चल रहे आंदोलन का क्षेत्र बहुत सीमित है। इसे केवल अपवाद के रूप में देखना चाहिए। इसीलिए नरेंद्र मोदी ने कहा कि करीब-करीब पूरे देश ने आशीर्वाद दिया है। देश के हर कोने के किसानों ने आशीर्वाद दिया है। मुझे विश्वास है कि देशभर के किसानों के आशीर्वाद की ये ताकत जो भ्रम फैलाने वाले लोग हैं, जो राजनीति करने पर तुले हुए लोग हैं, जो किसानों के कंधे पर बंदूकें फोड़ रहे हैं, देश के सारे जागरूक किसान उनको भी परास्त करके रहेंगे।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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