– डा.आशीष राय
बिहार के मोतिहारी जिले के पहाड़पुर प्रखंड स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परसौनी के मृदा विशेषज्ञ डा.आशीष राय ने किसानों को पंचगव्य नामक जैविक रसायन के उपयोग करने की सलाह देते हुए कहा कि इससे न केवल मिट्टी की सेहत में सुधार होगा बल्कि उपज भी दुगुनी होगी।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए खेतों में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा कर रहे है।यूरिया,डीएपी व कीटनाशक जैसी रासायनिक खादों का इस्तेमाल करने से भूमि की उर्वरा शक्ति का लगातार क्षरण हो रहा है।इससे उत्पादन निरंतर घटता ही जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में फसलों के उत्पादन में रसायनिक खाद के बजाय जैविक खाद का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था, जो मुख्यतया गाय के गोबर और गोमूत्र पर आधारित था। जिससे उत्पादन के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में इजाफा होता था। वहीं प्राचीन काल में किसान फसलों की गुणवत्ता और पौधों को कीट, पतंगो आदि से बचाने के लिए जैविक नुस्खों का इस्तेमाल करते थे। इन्हीं में एक पंचगव्य है। पंचगव्य से खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी साथ ही पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा।
उन्होंन कहा कि इसके उपयोग और शोध से स्पष्ट हुआ है कि यह एक प्रभावकारी जैविक खाद है, जो पौधों की वृद्धि एवं विकास में सहायता करने के साथ ही प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है। पंचगव्य का निर्माण देसी गाय के पांच उत्पादों गौमूत्र, गोबर, दूध, दही और घी के मिश्रण से होता है। पंचगव्य प्रकृति द्वारा प्रदान की गई चीजों से बनाई गई एक ऐसा जैविक खाद है, जो खेत में उगने वाले पौधों के अलावा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का कार्य करती है।
-पंचगव्य के मुख्य फायदे
•मिट्टी में पंचगव्य का इस्तेमाल करने से खेत में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है और खेत की उर्वरा शक्ति में सुधार होता है।
•फसलों में विभिन्न प्रकार के होने वाले रोग और कीट का प्रभाव काफी कम हो जाता है। यह काफी सरलता और आसानी से बनाया जा सकता है।
•पंचगव्य खेत में जल की आवश्यकता को कम करता है।जिस कारण कम नमी मे भी पौधा जीवित रहता है।
•पंचगव्य के इस्तेमाल से फसलों के उत्पादन में वृद्धि के साथ ही यह मानव जीवन के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
-कैसे बनाये पंचगव्य
किसान भाई इसे अपने घर पर ही तैयार कर सकते हैं इसके लिए कुछ सामग्री की आवश्यकता होगी जो इस प्रकार है-
1. देशी गाय का ताजा गोबर-10 किलोग्राम
2. देशी गाय का ताजा मूत्र- 4-5 लीटर
3. देशी गाय का ताजा कच्चा दूध-1-2 लीटर
4. देशी गाय का दही- 1-2 लीटर
5. देशी गाय का घी-200-500 ग्राम
6. गुड़ -1-2 किलोग्राम
पंचगव्य बनाने के लिए सबसे पहले गोबर और गोमूत्र में देसी घी को मिलाकर मोटी प्लास्टिक या कंक्रीट के बने हुए किसी टंकी में डाल दें। फिर इसमें दही, दूध और गुड़ मिलाकर इस मिश्रण को अगले 3-4 दिनों तक बीच-बीच में लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें, और पांचवें दिन मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाकर टंकी में 50 लीटर पानी भरकर किसी ढक्कन से बंद करके छायादार स्थान पर रख दें। अब अगले 15-20 दिनों तक रोजाना सुबह और शाम के समय इस मिश्रण को घोलना होता है। इस प्रकार लगभग 20-25 दिनों के बाद पंचगव्य उपयोग के लिए बनकर तैयार हो जाएगा। इसके पश्चात यह खमीर का रूप ले लेगा और इस मिश्रण से खुशबू आने लगे तो आप समझ जाएं कि पंचगव्य उपयोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। अब लगभग 10 लीटर जल में ढाई सौ ग्राम पंचगव्य मिलाकर किसी भी फसल के लिए उपयोग कर सकते हैं।
-पंचगव्य का कैसे करे उपयोग
पंचगव्य का प्रयोग किसान विभिन्न प्रकार की फसलों में प्रत्येक 15-20 दिनों के अंतराल में कर सकते हैं।
-पंचगव्य के लाभ
•भूमि की उर्वराशक्ति में सुधार।
•भूमि में हवा व नमी को बनाए रखना।
•भूमि में सूक्ष्म जीवाणुओं की संख्या में बढ़ोतरी।
•फसल में रोग व कीट का प्रभाव कम करना।
-पंचगव्य को कैसे रखे एकत्र
पंचगव्य को छाया में और हर समय ढक कर रखा जाना चाहिए। इस मिश्रण की देखभाल करते रहना चाहिए ताकि कोई कीट मिश्रण में न पड़े और ना ही इसमें कोई अंडे पैदा हो। इसे रोकने के लिए कंटेनर को हमेशा तार के जाल या प्लास्टिक ढक्कन के साथ बंद करके रखा जाना चाहिए।
-पंचगव्य के प्रयोग में मुख्य सावधानी
• पंचगव्य का उपयोग करते समय खेत में नमी होना आवश्यक है।
• एक खेत का पानी दूसरे खेतों में नहीं जाना चाहिए।
• पंचगव्य मिश्रण को हमेशा छायादार व ठंडे स्थान पर रखना चाहिए।
• इसके साथ रासायनिक, कीटनाशक व खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए।
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