प्याज की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया
आंदोलन की तैयारी, एक सप्ताह में बनेगी रणनीति
इंदौर। चुनावी साल (Election year) में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार नए प्रयोग कर रही है। प्याज के बढ़ते दामों पर अंकुश लगाने के लिए 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने के आदेश के साथ ही किसानों में नाराजगी नजर आने लगी है। एक सप्ताह में ही विरोध प्रदर्शन और आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि लागत निकलने का समय आया तो सरकार ने भारी-भरकम निर्यात शुल्क लगा दिया।
केंद्र सरकार (Central Govt) महंगे प्याज से आमजन को राहत देने के लिए एजेंसियों को माध्यम बनाएगी, यानी नेफेड और अन्य एजेंसियों से टमाटर के बाद अब प्याज बेचेंगे। हालांकि प्रदेश में 15-20 रुपए किलो प्याज अभी मिल रहा है, जबकि दूसरे राज्यों में 50 से 70 रुपए खेरची में है। 2 दिन पहले कीमतों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर तक प्याज निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जिससे प्याज उत्पादक किसान अब स्थानीय मंडी बंद करने और आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
पहले मौसम की मार, अब निर्यात शुल्क से किसान मुसीबत में
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रामस्वरूप मंत्री व बबलू जाधव का कहना है कि मंडियों में इतने भी भाव नहीं मिल रहे थे कि सरकार को तत्काल प्याज निर्यात शुल्क लगाने की आवश्यकता पड़ी, क्योंकि मंडियों में ज्यादातर एवरेज प्याज 18 से 20 रुपए किलो ही बिक रही थी, जिसमें किसानों की लागत निकल रही थी। ज्यादातर प्याज तो मालवा-निमाड़ में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से खराब हो गई थी, वहीं बची हुई प्याज के अच्छे दाम मिलने की आस थी, लेकिन निर्यात शुल्क लगाए जाने से मंडियों में अब प्याज के दाम कम मिलेंगे। लागत भी नहीं निकलेगी। हाल ही में अफगानिस्तान से लहसुन निर्यात किया गया। गेहूं, चावल निर्यात पर रोक लगाई गई।
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