मंदसौर। सीपीएस पद्धति (CPS method) को लेकर अफीम काश्तकारों (CPS method) में खासा असमंस है। साथ ही आर्थिक नुकसान की आशंका भी है। इसको लेकर अफीम किसानों (CPS method) ने मांगों को लेकर अफीम गोदाम (opium warehouse) कार्यालय और फिर कलेक्टोरेट में नारेबाजी की। किसानों ने आरोप लगाया कि नारकोटिक्स विभाग (opium warehouse) ने घटिया सस्पेक्ट व वाटर मिक्सकर अफीम पट्टे रोके हैं, जिन्हें बहाल किया जाए। सीपीएस सिस्टम को लेकर भी वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।
भारतीय अफीम किसान संघर्ष समिति (राजस्थान, एमपी और राजस्थान) की ओर से केंद्रीय वित्त मंत्री व जिला अफीम अधिकारी के नाम सौंपे ज्ञापन में मांग रखी कि जिन किसानों को सरकार ने सीपीएस पद्धति में लाइसेंस जारी किए हैं, उनकी अफीम फसल पककर तैयार हो गई है पर भारत सरकार ने लाइसेंस में चीरा लगाने की अनुमति नहीं दी है, किसान असमंजस में हैं। आर्थिक नुकसानी के आसार बन रहे। सरकार ने सीपीएस सिस्टम जबरन थौंपा है। किसानों ने बताया साल 97 व 98 में किसी कारणवश काटे गए पट्टे बहाल किए जाएं व उन किसानों को अफीम खेती करने का मौका दिया जाए।
नारकोटिक्स द्वारा नए वर्ष में नीति जारी करते समय मार्फन नियम को पूरी तरह से समाप्त किया जाए। मार्फिन पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर है, इसमें किसान कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकता है। इस दौरान पदाधिकारियों में जोरावरसिंह चैहान, मांगीलाल मालवीय, परसुराम मीणा, लक्ष्मीलाल पुष्करवा, भरतकुमार टेलर, नारायणसिंह राणावत, दीपक डांगी, सुरेश सेन, मांगीलाल रावत, मुकेश जाट, चंद्रप्रकाश जोशी समेत उपस्थितजनों ने अफीम कार्यालय के बाहर नारेबाजी के बाद कलेक्टोरेट जाकर केंद्रीय वित्त मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और किसानों की समस्या का निराकरण करने की मांग रखी।
इसलिए है असमंजस
अफीम व डोडाचूरा की तस्करी रोकने के लिए केंद्र सरकार सीपीएस पद्धति की तरफ बढ़ रही है और इसके चलते ही मप्र के नीमच-मंदसौर जिले के लगभग छह हजार किसानों को इस पद्धति के तहत हरे रंग के पट्टे दिए हैं। इन किसानों की अफीम सीधे खेत से ही मशीन द्वारा निकाली जाएगी। और बची हुई फसल को रोटावेटर से नष्ट कर दिया जाएगा। अब डोडो में अफीम बनने लगी हैं और डोडे पूरे भर गए हैं। किसान इसकी रखवाली में जुटे हैं कि तोते या अन्यं पक्षियों ने डोडे फोड़ दिए तो फिर अफीम नीचे मिट्टी में मिल जाएगी। वहीं सरकार ने अभी तक यह समय-सीमा तय नहीं की हैं कि डोडे कब तक खेत में ही रखने हैं। इसके अलावा नई तकनीक से अफीम निकालने वाली कंपनी डोडे तोडकर ले जाएगी या खेतों में ही अफीम निकाली जाएगी।
इन किसानों को लिया गया है सीपीएस पट्टे में
नारकोटिक्स विभाग ने सीपीएस पट्टे उन किसानों को दिए है जो पिछले साल मार्फिन का प्रश 3.7 से 4.2 बीच में ही दे पाए थे। इसके अलावा दो साल में जिन औसत पूरा नहीं करने से जिनके पट्टे कटे थे उन्हें 6-6 आरी के पट्टे दिए थे। मप्र में इनकी संख्याि 6 हजार हैं और मंदसौर जिले में 2237 हैं। इन सभी किसानों को चीरा लगाने की अनुमति नहीं हैं पर नारकोटिक्स विभाग द्वारा अफीम लेने तक फसल की निगरानी करना हैं।
31 गांवों के किसान कर रहे परंपरागत खेती
इधर मंदसौर जिले के 531 गांवों में 13 हजार 813 किसान परंपरागात तरीके से ही खेती कर रहे हैं। इन किसानों को मार्फिन का औसत 4.2 प्रश से अधिक देने के आधार पर 6, 8, 10 व 12 आरी तक के पट्टे मिले हैं। इन सभी किसानों ने डोडो में चीरा लगाकर रोज अफीम एकत्र करना भी शुरू कर दी हैं।एजेंसी
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