नई दिल्ली । केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान परिवारों की दो हजार से अधिक महिलाएं आंदोलन में जल्द शामिल होंगी। इसके लिए अलग टेंट, लंगर, स्नानागार, अस्थायी शौचालयों सहित निर्माणाधीन या खाली मकान भी तलाश लिए गए हैं ताकि महिलाओं को किसानों के इस संघर्ष में शामिल होने पर किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
किसानों के आंदोलन को अलग अलग वर्गों के समर्थन से विरोध के और तेज होने की संभावना जताई जा रही है। शुरुआत से ही किसानों की मांग कृषि कानूनों को रद्द करने की है। इस आंदोलन में पंजाब के अलग अलग हिस्सों से पहुंचने वाली महिलाओं के लिए अलग टेंट, लंगर के अलावा अतिरिक्त शौचालयों का भी इंतजाम किया जा रहा है।
किसान नेता हरेंद्र सिंह लाखोवाल ने कहा कि दिल्ली की एक संस्था की ओर से रविवार को करीब 2,00 टेंट प्रदान किए गए, जिन्हें सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर लगाया जा रहा है। लाखोवाल ने कहा कि किसानों के साथ महिलाएं भी आंदोलन में शामिल होने की तैयारी कर रही है। उनके लिए खाली घरों या निर्माणाधीन इमारतों की तलाश की जा रही है।
किसान नेताओं ने कहा कि कुछ लोगों ने अस्थायी शौचालय और अपने फ्लैट भी देने की पेशकश की है ताकि आंदोलन में शामिल किसान और उनके परिजनों को किसी तरह की परेशानी न आए। सोमवार को सिंघू सीमा पर भूख हड़ताल में शामिल किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि यह केवल पंजाब के किसानों का आंदोलन नहीं है, बल्कि देश भर के किसानों का है। कई महिलाएं पहले से ही यहां सीमाओं पर आंदोलन का हिस्सा रही हैं, लेकिन अधिक लोगों ने इसमें शामिल होने की इच्छा जताई है।
इसके तहत पंजाब के अलग अलग हिस्सों से 2,000 से अधिक महिलाओं के भी आंदोलन में शामिल होने की उम्मीद है। लंगर सहित अन्य सुविधाएं पहले से भी हैं, लेकिन महिलाओं के लिए एक अलग स्नानागार और पानी की व्यवस्था भी की जा रही है। हमारा मुख्य उद्देश्य किसानों की बेटियों को सुरिक्षत और सुविधाजनक माहौल देना है।
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