नई दिल्ली । दिल्ली Delhi में एक तरफ कोरोना की (Death from Corona) बेकाबू रफ्तार जारी है तो वहीं किसानों का विरोध प्रर्दशन भी शांत नहीं पड़ा है. अभी भी बॉर्डरों पर किसान (Farmers Protest) डटे हुए हैं और तीन कृषि कानूनों का विरोध (Farmers on the borders protest three agricultural laws) कर रहे हैं. इस बीच टिकरी बॉर्डर (Protesters at Tickery Border) पर कोरोना ने दस्तक दे दी (Corona’s uncontrollable pace) है. एक महिला किसान की कोरोना की वजह से मौत (Woman Farmer Dies from Corona) हो गई है.
बताया जा रहा है कि 25 वर्षीय महिला पश्चिम बंगाल की थी और 12 अप्रैल से टिकरी बॉर्डर आंदोलन में शामिल थी. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. बीमार होने के बावजूद भी उन्हें किसी तरह की कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिल सकी और देखते ही देखते उनकी स्थिति गंभीर बन गई. जब महिला की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तब जाकर उन्हें शिवम अस्पताल में भर्ती करवाया गया और उनकी कोविड रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ गई. अब क्योंकि महिला ने पहले से अपना इलाज नहीं करवाया, इसी वजह से वे इस वायरस के आगे हार गईं और किसान आंदोलन में कोरोना की सेंधमारी हो गई.
मौत के बाद कोरोना संक्रमित महिला का किसानों की उपस्थिति में ही अंतिम संस्कार भी किया गया है. लेकिन यहां पर भी एक मुद्दे पर विवाद खड़ा हो गया. सवाल उठाए जा रहे हैं कि संक्रमित शव किसानों को क्यों सौंपा गया था? इससे कोरोना फैलने का खतरा और ज्यादा नहीं बढ़ जाएगा? इस बारे में जब एसडीएम हितेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे मामले की जांच करेंगे. उनकी मानें तो जांच पूरी होने के बाद ही किसी तरह का एक्शन लिया जाएगा.
किसान नेताओं के मुताबिक आंदोलन के दौरान हर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और सभी से टीका लगवाने की भी अपील हो रही है. वहीं दावा ये भी किया गया है कि वैक्सीनेशन के काम में सभी किसानों की तरफ से प्रशासन को पूरा सहयोग दिया जा रहा है और अपनी बारी आने पर सभी किसान टीका लगवा रहे हैं. लेकिन इन दावों के बीच एक युवा महिला की कोरोना से मौत चिंता का विषय है. वहीं क्योंकि इस आंदोलन में और भी कई किसान शामिल हैं, ऐसे में वायरस के फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है.
उल्लेखनीय है कि कोरोना के बीच भी किसान भारी संख्या में बॉर्डर पर डटे हुए हैं. एक तरफ टिकरी बॉर्डर पर 16 हजार के करीब किसान मौजूद हैं तो वहीं सिंघु बॉर्डर पर भी 8 हजार किसानों का जमावड़ा है. प्रशासन की तरफ से कई बार किसानों को हटाने का प्रयास हुआ है, उन्हें समझाने की भी कोशिश रही है, लेकिन ये आंदोलन कई महीनों से लगातार जारी है. पिछले साल सितंबर में मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकने वाले ये किसान अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं. उन्हें किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं है, सिर्फ तीनों कृषि कानून खत्म करने की मांग है.
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