नई दिल्ली। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) का कहना है कि पिछले बीस दिनों में दिल्ली और आस-पास के राज्यों में किसान आंदोलन से लगभग 5 हजार हजार करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है। उसकी ओर से मांग की गई है कि कृषि कानूनों से अन्य वर्ग भी प्रभावित हो रहे हैं ऐसे में सरकार को सभी वर्गों की बैठक बुला शीघ्र समाधान निकालना चाहिए।
दिल्ली और उसके आस-पास चल रहे किसान आंदोलन एवं उसके कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न वर्गों को होने वाले संभावित प्रभावों के मद्देनज़र कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आंदोलन के नेताओं से आग्रह किया कि वो सरकार से चल रही वार्ता के जरिये अपने मुद्दों को सलुझायें। वहीं सरकार से भी यह आग्रह किया कि खुले विचारों से किसान वर्ग की बातों को सुना जाए और बातचीत के द्वारा उनकी वाजिब मांगों को स्वीकार करते हुए शीघ्र ही इसका हल निकाला जाए ।
कैट की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार सम्मेलन में कहा गया कि आंदोलन के आर्थिक गतिविधियों पर संभावित प्रभाव को देखते हुए जल्द ही किसान नेताओं एवं कृषि से सम्बंधित अन्य सभी वर्गों की एक बैठक बुलाई जाए। इसके जरिए किसान की घाटे की खेती को लाभ की खेती में परिवर्तित करने के लिए आपसी समन्वय के आधार पर कोई फार्मूला निकाला जा सकता है।
इस दौरान सभी वर्गों के प्रमुख नेताओं की एक कमेटी का गठन किया गया जिसका संयोजक देश के वरिष्ठ किसान नेता नरेश सिरोही को बनाया गया। यह कमेटी आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से बातचीत कर शीघ्र ही एक बैठक आयोजित करेगी।
कहा गया कि दिल्ली न तो कृषि राज्य है एवं न ही औद्योगिक राज्य बल्कि दिल्ली देश का सबसे बड़ा व्यापारिक वितरण केंद्र है जहाँ देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली में माल आता है और दिल्ली से देश के समस्त राज्यों में माल जाता है। एक मोटे अनुमान के अनुसार दिल्ली आने वाले माल का लगभग 30 से 40 प्रतिशत की आवाजाही किसान आंदोलन से प्रभावित हुई है जिसका विपरीत असर दिल्ली और पडोसी राज्यों के व्यापार पर पड़ रहा है। पिछले बीस दिनों में दिल्ली और आस-पास के राज्यों में लगभग 5000 हजार करोड़ रुपये का व्यापार प्रभावित हुआ है।
यदि ऐसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य में दिल्ली के व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों एवं अन्य वर्ग के लोगों को व्यापार का बड़ा नुक्सान होगा। कोरोना के कारण पहले से ही व्यापार एवं अन्य गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित थी और दिवाली से जैसे तैसे व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था लेकिन अब किसान आंदोलन के कारण एक बार फिर व्यापार बुरी तरह प्रभावित होने की बड़ी संभावना है। इस नाते से किसान आंदोलन के विषयों का समाधान होना बेहद जरूरी है।
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