नई दिल्ली: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान एक बार फिर से अपने आंदोलन (Farmer Protest) को गति देने की कोशिश में जुट गए है. किसानों ने अब दिल्ली के संसद भवन का रुख करने का फैसला लिया है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को कहा कि सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर को ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे.
राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ट्रैक्टर भी वही हैं और किसान भी वही. इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन (Parliament House) जाएंगे.’ दरअसल, 29 नवंबर को किसान 500-500 ट्रैक्टर समेत गाजीपुर बार्डर (Gazipur Border) और टिकरी बार्डर (Tikri Border) से दिल्ली के संसद भवन के लिए रवाना होंगे.
किसान आंदोलन के 26 नवंबर को पूरे होंगे एक साल
आगामी 26 नवंबर को किसान आंदोलन को शुरू हुए पूरा एक साल होने जा रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का एक साल पूरे होने के मौके पर 500 किसान हर दिन 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक शांतिपूर्ण ट्रैक्टर मार्च (Tractor March) में हिस्सा लेंगे. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान पिछले साल 26 नवंबर से नए कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों के क्रियान्वयन पर जनवरी में रोक लगा दी थी.
ट्रैक्टर भी वही हैं और किसान भी वही। इस बार गूंगी-बहरी सरकार को जगाने और अपनी बात मनवाने के लिए किसान 29 नवंबर की ट्रैक्टरों से संसद भवन जाएंगे।#FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 12, 2021
पार्लियामेंट सेशन 29 नवंबर से शुरू
राकेश टिकैत ने ट्रैक्टर मार्च को लेकर कहा था कि 22 नवंबर को किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में फैसला किया गया है कि 26 तारिख को कई राज्यों की राजधानी में बैठे किसान कार्यक्रम करेंगे, उस दिन संविधान दिवस भी है, इसलिए उसे बचाने की कोशिश भी होगी. 29 तारीख से जब पार्लियामेंट सेशन शुरू होगा तो हर मोर्चे (गाजीपुर बार्डर और टिकरी बार्डर) से जहां पुलिस ने रास्ता खुला होने का एफिडेविट दिया है, उस मोर्चे से 500-500 किसान ट्रैक्टरों के साथ निकलेंगे. किसानों को जहां भी रोका जाएगा वह वहीं बैठ जाएंगे.
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