नई दिल्ली । केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाए जाने की मांग पर अड़े किसान संगठनों ने फिर अपनी बात दोहराई है। किसान नेताओं ने कहा है कि इन मांगों से इतर हमें कुछ भी मंजूर नहीं होगा।
आज बुधवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में 10वें दौर की वार्ता होनी हैं। ऐसे में वार्ता से पूर्व; भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया है कि किसानों की मांग साफ है और वो इससे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा विरोध सरकार और कॉर्पोरेट सिस्टम के खिलाफ है। इसीलिए सरकार को हर हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक कानून बनाना होगा और तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना होगा।
वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि सरकार का रवैया अब भी नकारात्मक है। इस परिस्थिति में बहुत कुछ होगा ऐसी कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन सरकार को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किसान किसी भी सूरत में खेती को बर्बाद नहीं होने देंगे।
उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों के खिलाफ 55 दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारी कृषि कानूनों को रद्द करने तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी जामा पहनाने की मांग कर रहे हैं। जबकि सरकार सिर्फ संशोधन करने को ही तैयार है। इसी को लेकर किसानों और सरकार के बीच पिछली नौ दौर की वार्ता बेनतीजा रही है। आज एक बार फिर सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीत होनी है।
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