उज्जैन । बड़नगर विकास खण्ड के बीसाहेड़ा ग्राम (Bisahera Village) निवासी कृषक गोपाल पिता भागीरथ डोडिया ने खेती में विशेष योग्यता (specialization in agriculture) रखते हुए अपने स्वयं की लगभग दो हेक्टेयर जमीन में जैविक खेती (Organic farming) कर अपने परिवार के आठ सदस्यों का भरण पोषण किया है। कृषि को लाभ का धंधा बनाने की दिशा में शासन के प्रयासों की वे जीती-जागती मिसाल हैं। श्री डोडिया के परिवार में पांच वयस्क और तीन बच्चे मिलकर संयुक्त रूप से जैविक उर्वरक, जैविक पौध संरक्षण दवाईयों, पौध नर्सरी के साथ ही गोपालन करते हुए खेती का वेस्ट गोपालन में और गोपालन का वेस्ट खेती में उपयोग कर रहे हैं।
श्री डोडिया खेती में किसी भी रसायन का उपयोग नहीं करते हुए स्वयं के निर्मित कम्पोस्ट खाद, जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत के साथ ही पौध संरक्षण औषधी निमास्त्र, भ्रमास्त्र, दसपरर्णिम अर्क, छाछ का उपयोग कर खेतों की नरवाई न जलाते हुए गहरी जुताई एवं मेड़ नाली पद्धति से बुवाई कर लगातार प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने जैविक खेती में जो विश्वसनीयता हासिल की है। इस कारण इनके खेतों की फसलों का उत्पाद हाथोंहाथ जिले के उपभोक्ता इनके निवास से ही ऊंचे दामों पर खरीद लेते हैं।
श्री डोडिया के अनुसार कृषि विभाग के अनुदान पर दो गोबर गैस प्लांट की स्थापना, एक रोटावेटर, रेन गन, एक चाप कटर तथा एक स्पाइरल ग्रेडर उपलब्ध कराते हुए हर समय विभाग द्वारा सामयिक सलाह दी जाती रही है। उसी के चलते वे जैविक खेती करने के लिये प्रेरित हुए। उन्होंने 12 हजार पौधों की नर्सरी भी तैयार कर रखी है, जिससे वे सस्ते दरों पर क्षेत्रवासियों को पौधे उपलब्ध करवाते हैं, जिसके कारण उन्हें भी आर्थिक लाभ प्राप्त होता है।
श्री डोडिया को सोयाबीन उत्पादन पर एक लाख 43 हजार 200 रुपये का शुद्ध लाभ, गेहूं उत्पादन में तीन लाख 49 हजार 750 रुपये का शुद्ध लाभ, नर्सरी में 87 हजार रुपये, पशुपालन में डेढ़ लाख रुपये इस प्रकार कुल सात लाख 29 हजार 950 रुपये का शुद्ध लाभ जैविक खेती से प्राप्त हुआ है।
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