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    फार्मर फर्स्ट: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की झलक

  • January 02, 2022

    – संजय अग्रवाल

    हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है, लेकिन भारत के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने में इस क्षेत्र का महत्व इस संकेतक से बहुत अधिक है। सबसे पहले, भारत के लगभग तीन-चौथाई परिवार ग्रामीण आय पर निर्भर हैं और देश की खाद्य सुरक्षा, अनाज के उत्पादन के साथ-साथ फलों और सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि पर निर्भर करती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या, जिनकी आय में निरंतर वृद्धि हो रही है, उनकी मांगों को पूरा किया जा सके। ऐसा करने के लिए, एक उत्पादक, प्रतिस्पर्धी, विविध और दीर्घकालिक कृषि क्षेत्र को तेज गति से उभरने की आवश्यकता है।

    इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार एक अधिक समावेशी, उत्पादक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और विविधतापूर्ण कृषि क्षेत्र को मज़बूत आधार देने के लिए नीतिगत कार्य तथा सार्वजनिक कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है- एक ऐसा विज़न, जिसे माननीय प्रधानमंत्री ने ही लोगों के समक्ष रखा है।

    कई अर्थशास्त्रियों का सुझाव है कि किसानों को उनकी आय बढ़ाने के लिए और उन्हें कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के साथ-साथ घरेलू जरूरतों से संबंधित खर्चों को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए एक निश्चित प्रकार की दीर्घकालिक वित्तीय सहायता, कृषि छूट देने के विकल्प से कहीं बेहतर है।

    देश में किसान परिवारों के लिए ऐसी सकारात्मक व पूरक आय सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, प्रधानमंत्री ने 24 फरवरी 2019 को किसानों के कल्याण के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) का शुभारंभ किया। योजना के तहत, पात्र किसान परिवारों को हर चार महीने में 2000 रुपये की तीन समान किस्तों के साथ कुल 6000 रुपये प्रति वर्ष का लाभ प्रदान किया जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण मोड के माध्यम से लाभ की धनराशि सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है।

    इस महत्वपूर्ण योजना के शुरू होने के बाद से, पीछे मुड़कर देखने की भी जरूरत नहीं महसूस हुई है। इस योजना ने कई मील के पत्थर पार किए हैं और विश्व बैंक समेत विभिन्न संगठनों ने योजना के व्यापक दृष्टिकोण, बड़े पैमाने और पात्र किसानों के खातों में सीधे धन के निर्बाध हस्तांतरण की प्रक्रिया की प्रशंसा की है। उत्तर प्रदेश के किसानों को लेकर अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि पीएम-किसान के तहत हस्तांतरित लाभ अधिकांश किसानों तक सीधे पहुंचा और उन्हें बिना नुकसान या कमी के पूरी धनराशि प्राप्त हुई। अध्ययन के अनुसार, इस योजना से उन किसान परिवारों को काफी मदद मिली है, जो कृषि पर अपेक्षाकृत अधिक निर्भर हैं।

    विभिन्न राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों से त्रुटिरहित, सत्यापित और विधिमान्य डेटा प्राप्त करने के बाद अब तक- 11 करोड़ से अधिक पात्र किसान परिवारों को पीएम-किसान के तहत लाभ प्रदान किया गया है। पात्र परिवारों को कुल 1,60,982 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की गई है। और तो और, कोविड अवधि के दौरान पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को 1,07,484 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही, कुल 44,689 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की जा चुकी है और प्रधानमंत्री द्वारा 01 जनवरी 2022 को इसकी दसवीं किस्त जारी किए जाने के साथ यह राशि बढ़कर 65,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने की उम्मीद है।

    जैसा कि इस किस्म की व्यापक आकार की योजनाओं के साथ हमेशा होता है, पीएम-किसान के कार्यान्वयन ने कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। इस योजना को धन के हस्तांतरण के आकार, उसके तौर-तरीकों और उससे संबंधित तंत्र में निरंतर सुधार करते हुए लागू किया जा रहा है। लाभार्थियों को वित्तीय लाभों का सुचारू और त्वरित हस्तांतरण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से समय-समय पर कई प्रक्रियात्मक उपाय और अभियान शुरू किए गए हैं। परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस योजना के संचालन से संबंधित दिशा-निर्देशों को समय-समय पर संशोधित किया गया है ताकि देश के किसानों के कल्याण के इस प्रशंसनीय काम में सभी राज्यों का योगदान सुनिश्चित किया जा सके। यह योजना वास्तव में सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण रही है।

    इस योजना के तहत किसानों के नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया को अब सरल बना दिया गया है। पहले जहां एक किसान को इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा नामित स्थानीय पटवारी/राजस्व अधिकारी/नोडल अधिकारी (पीएम-किसान) से संपर्क करना पड़ता था, वहीं अब पीएम किसान के वेब पोर्टल पर ‘किसान कॉर्नर’ की एक विशेष सुविधा शुरू की गई है जिसके माध्यम से किसान अब अपना पंजीकरण करा सकते हैं। किसान कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने आधार कार्ड के अनुरूप पीएम-किसान डेटाबेस में अपना नाम संपादित भी कर सकते हैं। किसान कॉर्नर के माध्यम से वे अपने भुगतान की स्थिति के बारे में भी जान सकते हैं। लाभार्थियों का ग्रामवार विवरण भी ‘किसान कॉर्नर’ पर उपलब्ध है। देश भर के कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को भी एक मामूली शुल्क के भुगतान पर इस योजना के लिए किसानों का पंजीकरण करने के लिए अधिकृत किया गया है। किसानों के पंजीकरण को और भी अधिक आसान बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक विशेष मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया गया है। इस योजना के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सभी राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को ग्राम सभा स्तर पर सामाजिक आकलन (सोशल ऑडिट) करने के लिए भी कहा गया है। वास्तव में, कुछ राज्यों ने अपने सभी ग्राम सभाओं में इस सामाजिक आकलन (सोशल ऑडिट) को पहले ही पूरा कर लिया है।

    जब किसानों के पंजीकरण और पीएम-किसान के तहत प्राप्त लाभों का उपयोग करने में उनकी मदद करने की बात आती है तो हमारे कृषि संस्थान सबसे आगे रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पीएम-किसान के लाभार्थियों द्वारा आधुनिक तकनीकों को अपनाए जाने में 36 प्रतिशत वृद्धि होने का कारण कृषि विज्ञान केंद्र तक उनकी पहुंच होना है। इसका अर्थ है कि पीएम-किसान योजना से कृषि विज्ञान केंद्रों की उपयोगिता बढ़ी है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करने में पीएम-किसान योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो किसानों को कृषि क्षेत्र में लाभदायक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।

    अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) के अध्ययन के अनुसार, पीएम-किसान के तहत नकद राशि प्राप्त करने वाले किसानों की बीज, उर्वरक और कीटनाशक खरीदने में निवेश करने की अधिक क्षमता थी। इसके अलावा, कोविड लॉकडाउन के दौरान किए गए अध्ययनों के अनुसार, सरकारी हस्तांतरण पैकेज के तहत प्राप्त धन ऋण संबंधी बाधाओं को दूर करने और कृषि में निवेश बढ़ाने के संदर्भ में महत्वपूर्ण था।

    कई राज्यों के कुछ लाभार्थियों के साथ सीधे बातचीत के दौरान, किसानों में से एक, उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के खिर्सू गाँव के एक छोटे किसान यशवंत सिंह ने बताया कि वह अपनी 0.40 हेक्टेयर भूमि में सभी प्रकार की दालें उगाते हैं और वह पीएम-किसान योजना से प्राप्त धनराशि का उपयोग बीज तथा पाइप जैसे अन्य कच्चा माल खरीदने के लिए करते हैं, जो कुशल और उत्पादक खेती के लिए आवश्यक हैं। उनका मानना है कि पीएम-किसान योजना ने उनकी फसलों के लिए कच्चे माल के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करके प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से उनकी आय में वृद्धि की है और उनकी कृषि संबंधी अधिकांश जरूरतों के लिए यह एक महत्वपूर्ण सहायता बन गई है।

    इसी तरह, जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के एक किसान राकेश कुमार, जिनके पास 4 एकड़ जमीन है। वे अपनी भूमि पर गन्ना उगाते हैं और अपनी फसलों के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों की व्यवस्था करना कोविड महामारी के दौरान उनके लिए मुश्किल था। लेकिन पीएम-किसान के तहत लाभ प्राप्त होना वास्तव में उनके और उनके परिवार के लिए एक बड़ी राहत थी। इस पैसे की मदद से वे समय पर बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने में कामयाब रहे।

    निस्संदेह, पीएम-किसान योजना का महत्व यह है कि पहली बार मूल्य नीति (इनपुट या आउटपुट) का उपयोग किए बिना किसानों को सीधे धनराशि हस्तांतरित करने का प्रयास किया गया है। यह उन छोटे, सीमांत और जरूरतमंद किसानों को सहायता प्रदान करती है, जो कृषि लागत अथवा तकनीक में निवेश करने के लिए संघर्ष करते हैं। यह एक व्यापक ग्रामीण विकास एजेंडे के लिए एक महत्वपूर्ण पूरक का काम कर सकता है, जिसमें कृषि पर ध्यान केंद्रित करने वाली किसान-समर्थक विकास रणनीति और अंततः किसानों की आय में वृद्धि करना शामिल है।

    आईएफपीआरआई के अध्ययन के अनुसार, कई राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में नकद धनराशि हस्तांतरण से पता चला है कि पीएम-किसान योजना का लाभ देश के कमजोर किसानों के लिए अग्रिम रूप से राहत पैकेज साबित हुआ है। कुल मिलाकर, इन राज्यों में 89-94 प्रतिशत परिवार सीधे तौर पर नकद धनराशि हस्तांतरण से लाभान्वित हुए। किसानों के लिए सीधे नकद हस्तांतरण होने से लेन-देन की लागत में कमी होने के साथ-साथ बिना नुकसान और तत्काल वितरण सुनिश्चित होने से पीएम-किसान योजना एक वरदान साबित हुई है।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पीएम-किसान के तहत देश के 10 करोड़ से अधिक पात्र किसानों के लिए पहली जनवरी, 2022 को दसवीं किस्त जारी की जाएगी, जो कुछ ही मिनटों में अपने बैंक खातों में सीधे तौर पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि प्राप्त करेंगे। यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि किसानों को उनकी जरूरतों के समय सीधे तौर पर धन उपलब्ध कराने से उनका जीवन अत्यधिक सार्थक हुआ है, जबकि इस कार्य में उनके और प्रधानमंत्री के बीच कोई अन्य व्यक्ति नहीं है।

    (लेखक, भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग के सचिव हैं।)

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