नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई 11 जनवरी को करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक और नई याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए उसे दूसरे मामलों के साथ टैग कर दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि किसानों के आंदोलन को लेकर कोई प्रगति नहीं हुई है।
सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि आगे आनेवाले कुछ दिनों में इस बात की पूरी संभावना है कि दोनों पक्ष किसी समझौते पर पहुंचें। नयी याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर किया है। याचिका में 1954 के संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है। इस संशोधन के तहत कृषि उत्पाद बिक्री से जुड़ा विषय समवर्ती सूची में डाला गया था।
पिछले 17 दिसम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कहा था कि हमने क़ानून के खिलाफ प्रदर्शन के अधिकार को मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी है, उस अधिकार में कटौती का कोई सवाल नहीं, बशर्ते वो किसी और की ज़िंदगी को प्रभावित न कर रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या जब तक बातचीत से कोई समाधान नहीं निकल जाता, क्या सरकार कानून लागू नहीं करने पर विचार कर सकती है।
कोर्ट ने कहा था कि सभी पक्षों को सुनने के बाद ही फैसला सुनाएंगे। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा था कि हम मामले का निपटारा नहीं कर रहे हैं। बस देखना है कि विरोध भी चलता रहे और लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन न हो। उनका जीवन भी बिना बाधा के चले।
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