नई दिल्ली । आज भारत में कई किसान बागवानी फसलों की खेती (Horticulture Crop Cultivation) के साथ नवाचारों को अपनाकर देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं. इन किसानों (farmers) को बागवानी फसलों से अच्छा मुनाफा तो हो ही रहा है, साथ इससे दूसरे किसानों को भी कुछ नया करने की प्रेरणा मिल रही है. यही कारण है कि अब ज्यादातर किसान पारंपरिक फसलों की जगह फल, सब्जी, मसाले और औषधीय फसलों के साथ-साथ सूखे मेवों की खेती (Dry Fruits Cultivation) में जुट गए हैं.
कुछ किसानों ने तो जैविक विधि से फलों की बागवानी करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है. ऐसे ही किसानों की सूची में अब राजस्थान के केहराराम चौधरी (Kehraram Chaudhary) का नाम भी जुड़ चुका है, जिन्होंने 7 हेक्टेयर में खजूर और अनार की जैविक खेती (Organic Farming) के जरिये किफायती खर्च में काफी अच्छा मुनाफा कमाया है. आज राज्य के कई किसान इनके खेतों को देखने दूर-दूर से आते हैं.
टेलीविजन कार्यक्रम से मिला आईडिया
केहराराम चौधरी राजस्थान के जालौर जिले स्थित दाता गांव में जैविक खेती करते हैं. साल 2012 में केहरा राम चौधरी ने एक टीवी कार्यक्रम से प्रेरित होकर खजूर की खेती करने का मन बनाया. इसके लिए गुजरात के भुज में जाकर विशेषज्ञों से जानकारी हासिल की, जहां इजराइली तकनीक से खजूर का उत्पादन (Date Cultivation from Israeli Technique) लिया जा रहा है.
बस फिर क्या तुरंत उसी समय केहराराम चौधरी ने बरी किस्म के खजूर के 312 पौधों का ऑर्डर दिया और ढ़ाई साल बाद पौधों की सप्लाई होते ही 2 हेक्टेयर खेत में खजूर की जैविक खेती शुरू कर दी. इससे पहले ही केहरा राम चौधरी ने अनार की बागवानी करके काफी अच्छा उत्पादन लिया था. बागवानी फसलों की खेती के साथ-साथ ये मारवाड़ी किसान आज गेहूं, बाजरा, मूंग, मोठ, अरंडी और रायडा़ की परंपरागत फसलों का उत्पादन भी ले रहे हैं.
किफायती खेती से हुआ लाखों का मुनाफा
शुरूआत से ही सफल किसान केहराराम चौधरी ने खजूर की खेती को किफायती बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए रासायनिक खाद-उर्वरकों के बजाय गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करने लगे. केहराराम ने पौधों के पोषण प्रबंधन के लिये भी जैविक विधि का प्रयोग किया. धीरे-धीरे जैविक खेती (Organic Farming) से मुनाफा बढ़ने लगा तो 2 हेक्टेयर में फैली खजूर की बागवानी को 4 हेक्टेयर तक बढ़ा दिया और बरी किस्म के साथ मेडजूल किस्म के खजूर भी उगाने लगे.
खेमाराम बताते हैं कि एक पेड़ से करीब 100 किलो खजूरों का उत्पादन मिल रहा है, जो बाजार में 1000 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिक जाते हैं. उनके खजूर के बाग से प्रतिवर्ष 21,200 किलो खजूर निकलते हैं, जिससे सालाना 30 लाख रुपये की आमदनी होती है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें को राजस्थाम के केहराराम चौधरी अभी तक जैविक खेती (Organic Farming of Date Palm) करके 3 करोड़ 12 लाख तक की आमदनी कमा चुके हैं.
अनाज की खेती ने चार चांद लगाये
केहराराम चौधरी अब करीब 7 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं, बाजरा, मूंग, मोठ, अरंडी और रायडा़, खजूर और अनाज की बागवानी कर रहे हैं. 600 खजूर की पौध लगाने से पहले उन्होंने साल 2009 में अनार के 2500 पौधे लगाये थे. 3 हेक्टयेर खेत में फैले अनार के बाग (Pomegranate Orchards) से करीब 25 से 30 किलो प्रति पेड़ के हिसाब से उत्पादन मिलता है, जो 70 से 80 रुपये प्रति किलो के भाव पर बिकते हैं.
बता दें कि केहराराम चौधरी के खेतों में उपजे अनारों को राज्यावर मंडियों में निर्यात किया जाता है. इससे सालाना 40 से 42 लाख रुपये की आमदनी हो रही है. आज पांरपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों का उत्पादन (Fruit Production)लेकर केहराराम चौधरी (Kehraram Chaudhary, Jalore) जैसे किसानों ने साबित कर दिया है कि नवाचारों को अपनाने से खेती (Advanced Agriculture) में काफी कुछ नया किया जा सकता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. हम किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करते है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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