खंडवा। मशहूद गायक किशोर कुमार (Kishore Kumar) मध्य प्रदेश के खंडवा (Khandwa of Madhya Pradesh) जिले में जन्मे थे। यहां इस साल प्रशासन ने उनके जन्मदिन पर ‘गौरव दिवस’ मनाने का निर्णय लिया है। इसका प्रस्ताव भेजा गया है। किशोर कुमार के प्रशंसक (fan) हर साल दूध जलेबी के साथ जन्मदिन मनाते हैं। किशोर कुमार का नाम आते ही बॉलीवुड का एक मनमौजी, अल्हड़ किस्म के इंसान की तस्वीर आंखों के सामने खिंच जाती है। कलेक्टर अनूप सिंह ने रविवार को बताया कि स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों (Local elected representatives) के बीच सहमति के बाद 4 अगस्त को खंडवा का गौरव दिवस मनाने का प्रस्ताव इंदौर संभागीय आयुक्त को भेजा जाएगा।
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था। खंडवा प्रदेश की राजधानी भोपाल (capital Bhopal) से 255 किमी दूर स्थित है। कलेक्टर ने कहा कि खंडवा अस्तित्व में कब आया, इसके बारे में पुराने शिलालेखों और गजेटियरों में कोई दस्तावेजी रिकॉर्ड नहीं है। इस महीने की शुरुआत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा जयंती पर सीहोर जिले में गांवों और कस्बों के ‘गौरव दिवस मनाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की थी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ना, उन्हें उनके गांवों और कस्बों के ‘गौरव दिवस’ मनाने के लिए एक अनूठी पहल शुरू की थी। चौहान ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य लोगों को उनकी जड़ों से जोड़ना, उन्हें उनके गांवों और शहरों में वापस लाना है, ताकि वे अपने पैतृक स्थानों के विकास में योगदान दे सकें। किशोर कुमार के प्रशंसक (kishore kumar fans) हर साल 4 अगस्त को शहर में उनके स्मारक पर श्रद्धांजलि देने के लिए खंडवा आते हैं। कुछ तो ‘दूध जलेबी’ भी चढ़ाते हैं, जो गायक की पसंदीदा डिश थी। प्रशंसक स्मारक पर उनके कुछ लोकप्रिय गीत भी गाते हैं।
आपको बता दे की किशोर कुमार ने मुंबई (Mumbai) जाने से पहले अपना बचपन खंडवा में बिताया था। फिल्मों में अभिनय और निर्देशन (acting and directing) के अलावा उन्होंने देव आनंद से लेकर राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन (Rajesh Khanna and Amitabh Bachchan) तक कई फिल्मी सितारों को अपनी आवाज दी। अक्टूबर 1987 में कुमार का निधन हो गया था। पिछले साल दिसंबर में शिवराज सिंह ने कहा था कि वह चाहते हैं कि राज्य का हर शहर अपना जन्मदिन मनाए। इसमें इतिहासकारों की मदद ली जा सकती है। यदि तिथि पता न हो तो इस दिन को मनाने की तिथि निश्चित की जा सकती है।
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