एक इंटरव्यू में अनुराग ने कहा, “जब से मैंने ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ और ‘रमन राघव’ फिल्में बनाई हैं, लोग सोचते हैं कि मैं एक मनोरोगी हूं। पहले तो लोग मुझसे मिलने से भी डरते थे, लेकिन जब वे मुझसे मिलते हैं तो अभिभूत हो जाते हैं, क्योंकि मैं उनकी कल्पना से परे हूं। कई लोग सोचते हैं कि मैं गांजा का सेवन करता हूं। मुझे अक्सर ट्रोल किया जाता है, लोग मुझे नशेड़ी कहते हैं, लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि मुझे इससे एलर्जी है। यहां तक कि अगर मुझे अपने आस-पास किसी के धूम्रपान करने की गंध आती है, तो भी मुझे अस्थमा का दौरा पड़ जाता है।”एक बार टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में एक फैन उनके पास खास तोहफा लेकर आया। घटना को याद करते हुए अनुराग ने कहा, “मैं एक फेस्टिवल के लिए टोरंटो में था और कोई मेरे पास आया और बोला, मैं आपके लिए एक अच्छा गिफ्ट लाया हूं। उसके पास फूलों से लिपटा हुआ एक बैग था और मैं दूर से ही उसकी गंध महसूस कर सकता था, क्योंकि मुझे उससे एलर्जी है। जब मैंने बैग खोला तो उसमें गांजा था।अनुराग ने फैन से तुरंत गांजा वहां से ले जाने को कहा, “इस मारिजुआना को मुझसे दूर ले जाओ, इस गंध को दूर ले जाओ। फिर मुझे वहीं एंटीहिस्टामाइन लेना पड़ा। लोगों की ये गलतफहमियां बहुत बुरी हैं, लेकिन दुर्भाग्य से मैं इसे बदल नहीं सकता।
इस इंटरव्यू में अनुराग ने कोरोना काल के दौरान पैदा हुई कई स्वास्थ्य समस्याओं पर बात की। उनका एक प्रोजेक्ट बंद हो जाने के बाद वह व्यावसायिक कठिनाइयों के कारण अवसाद में आ गए और बाद में उन्हें दो दिल के दौरे पड़े। अनुराग ने बताया कि इसके चलते उन्हें स्टेरॉयड लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उनका वजन बहुत बढ़ गया।