नई दिल्ली: भारत की आजादी और विभाजन (India’s independence and partition) पर फ्रीडम एट मिडनाइट किताब (freedom at midnight book) लिखने वाले मशहूर फ्रेंच लेखन डॉमिनिक लैपियर (famous french writing dominique lapierre) नहीं रहे. वह 91 साल के थे. उन्होंने कई ऐतिहासिक घटनाओं (historical events) पर किताबें लिखीं जो दुनियाभर में चर्चित हुईं. डोमिनिक लैपिएरे भारत में भी उतने ही लोकप्रिय थे जितने फ्रांस या अन्य देशों में थे.
डोमिनिक का भारत से विशेष लगाव था और इसी लगाव के चलते भारत की आजादी पर उन्होंने ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ जैसी कालजयी कृति की रचना की. कोलकाता की रिक्शा चालक के जीवन पर आधारित उनके नॉवेल ‘सिटी ऑफ जॉय’ ने भी बहुत ही चर्चित रहा है. उनकी इसी लोकप्रियता को देखते हुए भारत सरकार ने 2008 में डोमिनिक लैपियरे को पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
30 जुलाई, 1931 को जन्मे डोमिनिक लैपियर की कई रचनाएं बेहद चर्चित रही हैं. अमेरिकन लेखक लैरी कोलिन्स के साथ मिलकर लिखी छह पुस्तकों की लगभग 50 मिलियन प्रतियां बिकी हैं. इनमें सबसे फेमस पुस्तक थी इज पेरिस बर्निंग (Is Paris Burning). भारत की आजादी पर उनकी पुस्तक ‘फ्रीडम ऑफ मिडनाइट’ भी बहुत चर्चित रही है. देश की आजादी के बारे में यह एक प्रमाणित पुस्तक मानी जाती है.
डोमिनिक लैपिएरे ने कोलकाता के एक रिक्शा चालक के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘सिटी ऑफ जॉय’ भी लिखी. यह पुस्तक भारत में बहुत ही पॉपुलर रही है. सिटी ऑफ जॉय पर फिल्म भी बनी है. यह पुस्तक इतनी चर्चित रही है कि कोलकाता शहर “द सिटी ऑफ जॉय” के नाम से जाना जाने लगा. डोमिनिक लैपिएरे की ‘बियोंड लव’ (1990) और ‘ए थाउजेंड सन्स’ (1999) पुस्तकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्ट सेलर रही हैं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved