भोपाल। मध्य प्रदेश में गुजरात (Gujarat) की फैक्टरी से तैयार होकर आने वाले नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन (Fake Remediesvir Injection) अब तक अलग-अलग जगह कई लोगों की जान ले चुके हैं। मौत होने के इन मामलों को लेकर अब शिकायत करने बड़ी संख्या में परिजन सामने आ रहे हैं। सबसे ज्यादा इंदौर और जबलपुर (Jabalpur) में इस नकली इंजेक्शन ने लोगों की जान ली है। इंदौर के विजय नगर पुलिस ने अबतक 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। सभी आरोपितों पर रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। इस संबंध में अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में अबतक आठ कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई है जिसके लिए परिजनों ने इंदौर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। इस मामले में पकड़े गए आरोपितों ने पुलिस को बताया कि 24 से 26 अप्रैल के बीच 48 घंटे में ही 700 नकली इंजेक्शन (Fake Remediesvir Injection) बिक गए थे। उस समय इसकी डिमांड ज्यादा थी। एक व्यक्ति को सबसे महंगा इंजेक्शन एक लाख आठ हजार में बेचा था।
इंदौर (Indore) में पुलिस ने जब सरवर खान को पकड़ा तब सामने आया कि कैसे वह कोरोना के इलाज के लिए जरूरी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए इंदौर में दलालों से संपर्क करता था और उन्हें ये नकली इंजेक्शन उपलब्ध कराता था। इस संबंध में विजयनगर थाना प्रभारी तहजीब काजी ने बताया कि सांवेर निवासी सरवर खान ने इंदौर के गोविंद से यह नकली इंजेक्शन की खेप ली थी। गोविंद से आशीष ठाकुर ने भी इंजेक्शन लिए थे। पुलिस के अनुसार अबतक यहां आरोपितों में सरवर खान के अलावा वसीम और अरशद हाजी के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं।
आरोपितों का कहना है कि उन्होंने कई लोगों को 35 से 40 हजार रुपये में इंजेक्शन बेचे थे। सबसे महंगा इंजेक्शन (Fake Remediesvir Injection) खातेगांव निवासी क्रीट अग्रवाल को एक इंजेक्शन एक लाख आठ हजार में बेचा था। इंजेक्शन धीरज और दिनेश को प्रवीण और असीम भाले उपलब्ध करवा रहे थे। असीम भाले को इंजेक्शन सुनील मिश्रा उपलब्ध करवा रहा था। रीवा निवासी सुनील मिश्रा गुजरात के मोरबी स्थित इंजेक्शन की नकली फैक्टरी (Factory) से कुलदीप सांवरिया के जरिए माल लाकर इन्हें देता था। गुजरात पुलिस ने सुनील मिश्रा को हिरासत में ले लिया था ।
इसी तरह से प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से जान गंवाने का दावा कर रहे परिवार वाले थाने पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं। यहां भी गुजरात के मोरबी फैक्टरी का कनेक्शन सामने आया है। सिटी अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की जान इससे गई है । अपनों को खो चुके परिजनों का दावा है कि उनके अपनों की मौत नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से ही हुई है।
सिटी अस्पताल में अपने अपनों को खो चुके दो परिवार वालों ने उच्चतम न्यायालय में भी न्याय की गुहार लगाते हुए सीबीआई जांच तक की मांग कर डाली है। यहां माढ़ोताल क्षेत्र की रहने वाली नीतू शिवहरे ने एएसपी रोहित काशवानी को दी गई शिकायत में बताया कि एक अप्रैल को उसने पति मनोज शिवहरे को सिटी अस्प्ताल में भर्ती करवाया था। उन्हें मामूली बुखार था। पहले इलाज के नाम पर ढाई लाख रुपये जमा करवाए गए और चार रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए जाने के बात बताई गई, इसके बाद नौ अप्रैल को उनकी तबियत बिगड़ी और मौत हो गई।
इसी प्रकार की एक शिकायत सिटी अस्पताल को लेकर मंडला निवासी किराना व्यापारी जगदीश के परिवार वालों ने की है। ओमती थाने में दर्ज शिकायत में बताया गया है कि 19 दिन तक जगदीश को अस्पताल में भर्ती रखते हुए अस्पताल की ओर से बताया गया कि उन्हें छह की जगह नौ रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए, लेकिन बचाया नहीं जा सका है, जबकि बिल के रूप में छह लाख 83 हजार रुपये वसूले गए। अपने बेटे जगदीश को खोने के गम में पिता टेकचंद वीरानी की आंखें नम हैं, वे बहुत ही दर्द के साथ अस्पताल प्रबंधन की नाकामी और लूट की शिकायत बयां कर रहे थे।
दरअसल, मध्य प्रदेश अचानक से डॉक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन लिखना चालू कर दिया था, जिसका फायदा गुजरात स्थित एक गिरोह ने उठाया। उसने प्रदेश में अपने तरीके से पानी और नमक के रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर सप्लाई करना आरंभ कर दिया, पुलिस ने जब एक मई को इस गिरोह का पर्दाफाश किया तब गुजरात अपराध शाखा द्वारा पूछताछ के दौरान, आरोपितों ने खुलासा किया कि उन्होंने एमपी (Madhya Pradesh) में लगभग 1200 नकली इंजेक्शन बेचे थे, जिसमें कि सबसे अधिक इंदौर में 700 और जबलपुर में 500 बेचे गए ।
पुलिस को दिए बयान के अनुसार गिरोह ने मुंबई से खाली शीशियां मंगवाई थीं, उन्हें गुजरात के वापी क्षेत्र की एक फैक्ट्री में ग्लूकोजसाल्ट कंपाउंड से भर दिया जाता था और उस पर ऊपर से रेमडेसिविर इंजेक्शन का नकली लेबल चिपका दिया जाता था। इस संबंध में इंदौर के आईजी हरि नारायण चारी मिश्रा का कहना है कि मामले में गिरफ्तार सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. ”हमारी जांच तब तक जारी रहेगी जब तक रैकेट में शामिल अंतिम व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता। किसी को भी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा।”
इस दौरान आईजी हरिनारायण चारी मिश्रा का कहना यह भी रहा कि अभी दो तरह के मामले सामने आए हैं। एक जो गुजरात से नकली इंजेक्शन लाकर यहां बेच रहे थे। दूसरा, मरीजों की डेथ होने पर उनके इंजेक्शन बचा लिए और उसे ब्लैक में बेच दिया। हम दोनों में ही गंभीर पड़ताल कर रहे हैं।
फिलहाल इंदौर पुलिस की तरह ही जबलपुर पुलिस भी मामले में सख्त कार्रवाई कर रही है। पुलिस पता लगाने में जुटी है कि कितने लोगों को यह नकली इंजेक्शन यहां दिए गए हैं। अभी जबलपुर के ओमती थाने में तीन संदिग्धों- जरबजीत सिंह, सपन जैन और देवेश के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का प्रयास, नशीली दवाओं में मिलावट, मिलावटी दवाओं की बिक्री और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस पता लगाने में जुटी है कि इंदौर और जबलपुर के बाहर अन्य जिलों में कितने नकली रेमडेसिविर अब तक बेचे गए हैं।