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सुपर कॉरिडोर पर प्राधिकरण की अधिग्रहित जमीन की हो गई फर्जी रजिस्ट्री

January 14, 2025

14 साल पहले अवॉर्ड पारित होने के साथ राजस्व रिकॉर्ड में भी नाम दर्ज, बावजूद इसके अवैध कर डाली बिक्री, अब जांच के साथ एफआईआर होगी दर्ज

इंदौर। प्राधिकरण (IDA) द्वारा लगभग 14 साल पहले अधिग्रहित (Acquired) की गई और अवॉर्ड पारित छोटा बांगड़दा (Chota Bangarda) की एक जमीन की अवैध बिक्री (under the counter) का मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी रजिस्ट्री (Fake registry ) भी कर डाली। अब शिकायत के बाद प्रशासन के साथ-साथ प्राधिकरण ने भी एफआईआर कराने के लिए संबंधित थाना प्रभारी को लिखा है। योजना 151 में यह 13 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक की जमीन शामिल है और पिछले दिनों सीएम हेल्पलाइन पर भी इस भू-घोटाले की शिकायत की गई।


इस जमीन को बेचने के लिए तीन अनुबंध भी तैयार किए और छोटा बांगड़दा के खसरा नम्बर 103/1/32/8 और 103/1/32/4 की 0.121 हेक्टेयर यह जमीन प्राधिकरण की योजना 151 में शामिल है और वर्तमान में इसका मूल्य 10 से 12 करोड़ रुपए से कम नहीं है। 2011 में प्राधिकरण ने योजना घोषित करने के साथ अन्य जमीनों के साथ इसका भी अधिग्रहण किया और अवॉर्ड भी पारित होने के साथ राजस्व रिकॉर्ड में भी जमीन उसके नाम पर दर्ज हो गई। बावजूद इसके यह जमीन मनमीतसिंह कौर और उनके पति के नाम पर थी, जिनकी मृत्यु हो गई। इसी जमीन को शैलेन्द्र पोड़वाल नामक व्यक्ति के जरिए किसी रीमा मौर्य को बेच दिया गया, जबकि इसी जमीन के संबंध में आशीष वर्मा के साथ भी एक ब्रोकर ने अनुबंध किया था और उसके बदले 45 लाख रुपए की राशि भी दी गई। मगर जब जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई और पैसे भी वापस नहीं मिले तब आशीष ने जमीन की जानकारी निकलवाई, तो पता चला कि यह तो प्राधिकरण के नाम पर है। इसी बीच यह जमीन नए खरीददार को बेच दी गई। इस मामले में ब्रोकर शैलेन्द्र पोरवाल का नाम भी सामने आया, जिस पर आरोप लगाया गया कि उसने लाखों रुपए हड़प लिए और फर्जी दस्तावेज और अनुबंध के आधार पर अधिग्रहित जमीन ही बेच डाली। सीएम हेल्पलाइन पर भी पिछले दिनों इसकी शिकायत की गई, तो प्राधिकरण से जब पूछा गया तब उसकी जानकारी में यह घोटाला आया। जब भू-अर्जन अधिकारी ने तहसीलदार को भी पत्र लिखा और नामांतरण ना करने का अनुरोध किया, साथ ही की गई रजिस्ट्री भी निकलवाई, वहीं शिकायतकर्ता द्वारा सौंपे गए दस्तावेजों की भी जांच की गई। प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा का कहना है कि योजना 151 में यह जमीन शामिल है और 2011 में ही प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण किया और अवॉर्ड भी पारित हो गया। इतना ही नहीं, इन विगत वर्षों में प्राधिकरण ने सारे विकास कार्य भी करवाए और भूखंडों का विक्रय भी किया। चूंकि जमीन पहले से ही प्राधिकरण के स्वामित्व और उसके नाम पर है, लिहाजा फर्जी रजिस्ट्री किन दस्तावेजों के आधार पर हुई इसकी जानकारी भी पंजीयन विभाग से मांगी गई है। हालांकि वर्तमान में जमीन प्राधिकरण के कब्जे में ही है। वहीं प्राधिकरण ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए भी संबंधित थाना प्रभारी को पत्र लिखा है। श्री मीणा के मुताबिक जल्द ही इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हो जाएगी। यह भी पता चला है कि उक्त जमीन फर्जी तरीके से ही तीन अलग-अलग लोगों को बेची गई और एक के नाम पर उसकी रजिस्ट्री भी करवा दी गई। पंजीयन विभाग से भी प्राधिकरण ने इस जमीन पर हुई रजिस्ट्री सहित अन्य दस्तावेज मांगे हैं। वहीं एरोड्रम थाने ने भी प्राप्त शिकायत और पत्र के आधार पर जांच शुरू कर दी है और इस मामले में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। सुपर कॉरिडोर पर जमीन के भाव पिछले कुछ समय में बढ़े हैं। वर्तमान में 8 हजार रुपए स्क्वेयर फीट तक के रेट चल रहे हैं, जिसके चलते उक्त जमीन की कीमत 10 से 12 करोड़ रुपए आंकी गई है।

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