गाजियाबाद (Ghaziabad) । दिल्ली के पास गाजियाबाद (Ghaziabad) में एक फैक्ट्री (factory) पर रेड के दौरान हैरान करने वाली सच्चाई सामने आई है. यहां LED Bulb की इस फैक्ट्री में हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure), डायबिटीज (diabetes) और Antacid की नकली दवाइयां (fake medicines) बनाकर बाज़ारों में बेची जा रही थीं. दिल्ली पुलिस की ‘क्राइम ब्रांच’ ने इस फैक्ट्री और गोदाम से एक करोड़ 10 लाख रुपये की नकली दवाइयां बरामद की हैं.
पुलिस का कहना है कि इस फैक्ट्री में ब्रांडेड दवाइयों को कॉपी करके नकली दवाइयां बनाई जा रही थीं. ये सारी वो दवाइयां थीं, जिनकी भारत में सबसे ज्यादा बिक्री होती है. ये भी संभव है कि आपके परिवार में कोई सदस्य इन दवाइयों को खा रहा हो. बड़ी बात ये है कि यहां जो नकली दवाइयां बन रही थीं, वो हैदराबाद तक सप्लाई होती थीं.
इस फैक्ट्री में नामी कंपनियो की नकली दवाइयों को बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चर किया जा रहा था. ड्रग विभाग की टीम ने लाखों रुपए कीमत की नकली दवाइयां बनाने के उपकरण के साथ ही भारी मात्रा में नकली दवाइयां बनाने का रॉ मेटीरियल बरामद कर लिया है. ड्रग विभाग के अधिकारियो के अनुसार यह नकली दवाइयां जिन्हें लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए ले रहे थे , वो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ ही जानलेवा तक साबित हो सकती है.
छापेमारी के बाद आरोपी गिरफ्तार
गाजियाबाद में ड्रग विभाग को एक फैक्ट्री में नकली दवाइयों को मैन्युफैक्चर किए जाने की सूचना मिली थी, जिसके बाद 4 मार्च से एक बड़े ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत छापेमारी की की गई. गाजियाबाद ड्रग्स विभाग के साथ दिल्ली क्राइम ब्रांच और लोकल पुलिस का साथ लेकर ऑपरेशन चलाया गया. जिसके चलते साहिबाबाद थाना क्षेत्र के राजेंद्र नगर इलाके में नकली दवाई की फैक्ट्री को संचालित होते पकड़ा गया है. पुलिस के मुताबिक विजय चौहान नाम का शख्स फैक्ट्री को संचालित कर रहा था, पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है.
ड्रग विभाग और पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था शातिर
जानकारी के मुताबिक पिछले एक साल से ड्रग विभाग और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर नकली दवाई बनाने की फैक्ट्री को संचालित किया जा रहा था. फैक्ट्री के बाहरी हिस्से में दिखाने के लिए ग्राउंड फ्लोर पर आरोपी ने एलईडी बल्ब रिपेयर करने की फैक्ट्री लगाई थी, जबकि ऊपर के फ्लोर पर बड़े पैमाने पर नकली दवाई बनाने का काम किया जा रहा था.
जब औषधि विभाग (ड्रग्स) के अधिकारियों ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और स्थानीय साहिबाबाद थाना पुलिस के साथ राजेंद्र नगर औद्योगिक क्षेत्र में संचालित फैक्ट्री और न्यू डिफेंस कॉलोनी भोपुरा के गोदाम में 2 जगहों पर छापेमारी की तो तो दोनों जगहों से करीब 80 लाख रुपए की नकली दवाइयां मिलीं.
इसमें गैस, शुगर और बीपी जैसी बीमारियों में काम आने वाली नामी कंपनियों की नकली दवाइयों की खेप पकड़ी गई. रेड में मौके से लाखों रुपए का कच्चा माल, मशीन और नकली दवाइयां बरामद हुईं हैं. जांच टीम ने 14 सैंपल जांच के लिए भेजे है. ड्रग विभाग की टीम ने साहिबाबाद थाने में नकली दवा बनाने, बेचने व धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है. साथ ही फैक्ट्री संचालक विजय चौहान को गिरफ्तार कर लिया है.
ये नकली दवाई बनाई जा रही थीं
ड्रग्स इंस्पेक्टर आशुतोष मिश्रा ने बताया कि साहिबाबाद क्षेत्र में नकली दवाइयां बनाने का इनपुट मिला था. टीम नकली दवाई बनाने वालों पर नजर बनाए हुए थी. विभागीय अधिकारियों ने क्राइम ब्रांच और साहिबाबाद थाना पुलिस टीम को साथ लेकर सर्वे किया. नकली दवाई बनाने वाली फैक्ट्री से सन फार्मा, डॉ. रेड्डी लैब, ग्लेनमार्क जैसी नामी कंपनियों की नकली दवाइयां पकड़ी गई हैं.
नकली दवाइयों की फैक्ट्री से नामी ब्रांड कंपनी की डमी दवाई, ओमेज डीएसआर और पैन डी के कैप्सूल, खाली खोखे, पैकेजिंग मेटेरियल, हाईटेक बिलस्टर पैकेजिंग मशीन, भारी मात्रा में खाली कैप्सूल शैल, एमबोसिंग मशीन, इंकजेट प्रिटिंग मशीन बरामद हुई है. बरामद माल की कीमत करीब 80 लाख रुपये बताई जा रही है, जबकि न्यू डिफेंस कॉलोनी स्थित गोदाम से भी नकली दवाइयां मिली हैं, जिनमें ग्लोकॉनॉर्म जी 2 औरजी 1, Telma-H, Telma-M पेंटोसिड DSR, ओमेज DSR, मॉबीजॉक्स के साथ ही दवाइयों को बनाने का कच्चा माल, पैकेजिंग मेटेरियल और मशीन, वजन मशीन आदि बरामद किए गए हैं.
तेलंगाना और रुड़की से नकली दवाइयों का रॉ मेटीरियल मंगाया जाता था. हैरानी की बात ये है कि इन नकली दवाइयों की सप्लाई हैदराबाद और अमृतसर में भी की जा रही थी. हालांकि आम लोग नकली दवाइयों को देखकर पहचान नहीं सकते, लेकिन ड्रग अधिकारियों के अनुसार दवाई खरीदते समय उनका बिल जरूर लेना चाहिए.
बीमारी में ये दवा खाते हैं लोग
जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की शिकायत है, वो Telma-M और Telma-H जैसी दवाइयां खाते हैं. जिन्हें डायबिटीज की शिकायत है, वो नियमित रूप से Gluco-Norm जी-2 और जी-1 नाम की दवाइयां खाते हैं. और Antacid की दवाइयों में Pantocid DSR और OMEZ DSR नाम की दवाई खाई जाती हैं, ये वो दवाइयां हैं, जो देश के लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोग नियमित रूप से खाते हैं.
असली दवाओं जैसी होती पैकेजिंग
इस छापेमारी में ये पता चला है कि इन्हीं नामों से नकली दवाइयां बाज़ारों में बेची जा रही हैं और इनकी पैकेजिंग असली दवाइयों के जैसी ही होती है. इस वजह से लोग असली और नकली दवाइयों में कभी अंतर ही नहीं कर पाते. देश में बहुत सारे लोग ऐसे होंगे, जो इन दवाइयों को खाने के बाद भी बीमार रहते हैं और ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ये लोग कहीं ना कहीं नकली दवाइयां खा रहे होते हैं.
नकली दवाइयों से बचने के लिए इन 5 बातों का रखें ध्यान
2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में बेची जा रही कुल दवाइयों में से लगभग 20 फीसदी दवाइयां नकली होती हैं और नकली दवाइयों का मार्केट हमारे देश में 35 हज़ार करोड़ रुपये का हो चुका है. यानी आज देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो ‘असली बीमारियों’ को दूर करने के लिए नकली दवाइयां खा रहे हैं. इन 5 बातों का ध्यान रखकर आप खुद को नकली दवाइयों से बचा सकते हैं.
1- अगर कोई दवाई अपनी निर्धारित कीमत से बहुत ज्यादा सस्ती मिल रही है या दुकानदार आपको स्पेशल डिस्काउंट और ऑफर के नाम पर कोई दवाई बेहद कम दामों पर दे रहा है, तो उस दवाई की प्रमाणिकता ज़रूर चेक कीजिए. जैसे.. अभी सभी दवाइयों पर एक बार कोड ज़रूर होता है, जिसे स्कैन करके आप उस दवाई के बारे में सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं और ये पता लगा सकते हैं कि वो दवाई असली है या नकली.
2- सम्भव हो तो जो दवाइयां आप खा रहे हैं, उन्हें डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं.
3- ऐसी दुकानों से ही दवाइयां खरीदें, जिन्हें सरकार से मान्यता मिली हुई है.
4- दवाइयां खरीदते समय ये ज़रूर सुनिश्चित करें कि उनकी सील टूटी हुई ना हो और उनकी पैकेजिंग में भी कोई गड़बड़ी ना हो.
5- दुकानदार से दवाइयों का बिल ज़रूर लें, क्योंकि जब आप दवाइयों का बिल लेते हैं, तो दुकानदार आपको नकली दवाई देने से पहले 100 बार सोचता है, क्योंकि उसे पता होता है कि बिल होने से वो लम्बी कानूनी कार्रवाई में फंस सकता है.
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