वाणिज्यिककर आयुक्त बोले- इन्दौर सहित कई शहरों तक फैला है फर्जीवाड़ा, तीन डीलरों को माल सप्लाय किया, उनकी भी जांच-पड़ताल शुरू, सायबर सेल भी जुटा इनपुट टैक्स क्रेडिट की जांच में
इंदौर। वाणिज्यिक कर विभाग (commercial tax department) ने डेटा विश्लेषण, डेटा एनालिटिक्स की नवीन तकनीक (Data Analysis, Innovative Techniques of Data Analytics) और गोपनीय तंत्र को मजबूत कर अभी जो इनपुट टैक्स क्रेडिट घोटाला उजागर किया उसके तार इंदौर से लेकर अन्य राज्यों और शहरों तक फैले हैं। प्रथम दृष्टया 50 करोड़ रुपए का घोटाला तो उजागर हो ही गया, वहीं ढेरों फर्जी कम्पनियां बोगस दस्तावेजों के आधार पर बना लीं। यहां तक कि मृतकों के नाम पर भी फर्में बन गईं। अब विभाग पूरा नेटवर्क ही ध्वस्त करेगा और डीलरों व सप्लायरों की पूरी चेन भी खंगाली जाएगी। वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव (Commercial Tax Commissioner Lokesh Jatav) के मुताबिक विस्तृत जांच-पड़ताल जारी है।
वाणिज्यिक कर विभाग की 70 से अधिक अधिकारियों की टीम ने इंदौर के अलावा जबलपुर, राजगढ़, सागर व अन्य जिलों के एक दर्जन से अधिक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर छापे मारे। इस दौरान कुछ महिला अधिकारियों को विरोध का सामना भी करना पड़ा, मगर उन्होंने चुनौतीपूर्ण तरीके से इसका सामना किया। इनमें जबलपुर की राज्य कर सहायक आयुक्त वंदना गोंड, सहायक आयुक्त वंदना सिन्हा प्रमुख रहीं। वाणिज्यिक कर आयुक्त जाटव के मुताबिक यह एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इसमें अनेक बोगस कम्पनियां बनाई गईं, जिसमें आधार कार्ड से लेकर कई फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। अब हम पूरा नेटवर्क ही पकड़ रहे हैं और एक-एक डीलर, सप्लायर की जांच कर चेन बनाई जाएगी, ताकि पूरा घोटाला उजागर हो सके। राज्य साइबर सेल ने भी इस मामले में जांच शुरू कर दी है और सेंट्रल जीएसटी विभाग भी इस ऑपरेशन में शामिल है। सेवानिवृत्त आला पुलिस अधिकारी के निवास के पते का इस्तेमाल करने के साथ-साथ कुछ मृतकों के आधार कार्ड का भी इस्तेमाल फर्जी फर्मों को बनाने में किया गया, जिसके चलते मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र की ऐसी बोगस फर्मों के बीच संदिग्ध वित्तीय कारोबार मिला है और अभी 50 करोड़ रुपए की नियम विरुद्ध खरीदी और बिक्री उजागर हुई है। बिना बिल के आयरन स्क्रैप की खरीदी और फिर उसका सरिया बनाकर बिना बिल माल बेच दिया गया। बोगस बिलिंग करके इनपुट टैक्स क्रेडिट का ट्रांसफर किया गया और कई व्यवसायी सिर्फ ट्रेडिंग का काम ही कर रहे हैं। ये बात भी सामने आई कि वे माल के वास्तविक परिवहन के बिना ही बोगस बिलिंग कर इनपुट टैक्स का ट्रांसफर कर देते हैं। यहां तक कि जो ई-वे बिल डाउनलोड किए गए उनमें से कई दोपहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन के आधार पर जारी कर दिए गए।
केंद्र सरकार ने आधार कार्ड को लेकर जारी की एडवाइजरी
अभी हर जगह धड़ल्ले से आधार कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है, मगर वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा पकड़े गए घोटाले से यह साबित हो गया कि किसी के भी आधार कार्ड का इस्तेमाल बोगस फर्मों को बनाने के लिए किया जा सकता है। इसके चलते केंद्र सरकार ने नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें कहा गया कि पूरे आधार कार्ड के बजाय मास्क्ड कॉपी का इस्तेमाल किया जाए। हालांकि बाद में इसे भी वापस लिया गया और कहा गया कि लोग अपने आधार नंबर का उपयोग और उसे साझा करने में सामान्य विवेक का इस्तेमाल करें और आइडेंटिटी अथेंटिकेशन ईको सिस्टम ने धारक की पहचान और गोपनीयता की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं कर रखी हैं। साइबर कैफे या किसी भी कम्प्यूटर के जरिए आधार कार्ड को डाउनलोड करने या शेयर करने से बचें और ई-आधार की डाउनलोड की गई प्रतियों को भी इस्तेमाल के बाद कम्प्यूटर से हटा दें, ताकि अन्य कोई व्यक्ति उसका इस्तेमाल न कर सके। दरअसल अभी वाणिज्यिक कर विभाग ने जो घोटाला पकड़ा है उसमें आधार कार्ड के आधार पर ही फर्जी फर्में खोली गईं और इनमें से कई लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि इन फर्जी फर्मों में उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल किया गया। पूर्व में भी पुलिस के सामने इस तरह के कई मामले आए हैं और उसने भी आधार सहित अन्य दस्तावेजों के इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर एडवाइजरी जारी की है।
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