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    फेक एनकाउंटर की खुली पोल: पुलिसकर्मियों के गोलियों का शिकार हुये थे थानाध्यक्ष व जख्मी सिपाही

  • September 14, 2020

    पटना ( अ सं) । बिहार पुलिस की संदिग्ध कार्रवाई के शिकार सिर्फ आम लोग ही होते है ऐसा नहीं है बल्कि हकीकत यह है की बिहार पुलिस के अधिकारी /पदाधिकारी अपने वाहवाही और कामयाबी के लिए अपने लोगों का भी बली चढ़ाने में गुरेज नहीं करते । पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह ,अपराधियों के गोलियों के शिकार नहीं बल्कि छापेमारी में शामिल अपने पुलिसकर्मियों के गोलियों से शहीद हुये थे व पुलिस के गोलीबारी में एक सिपाही दुर्गेश कुमार यादव भी जख्मी हुआ था। वहीं श्रवण यादव नामक व्यक्ति भी मारा गया था । इसका खुलासा बिहार एफएसएल द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किये गये रिपोर्ट से हुई हैं । जिसे पढ़ने से स्पष्ट होता है की यह कोई एनकाउंटर नहीं बल्कि फेक एनकाउंटर हैं ।

    क्लोज रेंज से लगी थी गोली , थानाध्यक्ष के पिस्टल से कोई फायरिंग नहीं

    पुलिस ने जिसे मुठभेड़ बताते हुये एफआईआर दर्ज कराया ,उसमें यह बताया गया की पुलिस की घेराबंदी की भनक पाते ही अपराधियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दिया । बचाव में पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह व छापेमारी टीम में शामिल पुलिसकर्मियों ने भी गोलीबारी किया । मुठभेड़ में आशीष कुमार सिंह शहीद हुये ,सिपाही दुर्गेश कुमार यादव जख्मी हुये। वही अपराधी श्रवण यादव को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया ।

    बिहार मानवाधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और पुलिस की पुरी कार्रवाई को संदिग्ध पाया । मुठभेड़ में पुलिस द्वारा इस्तेमाल हथियारों की जांच बिहार एफएसएल से कराया गया । पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह का सर्विस 9 एमएम की पिस्टल जांच हुई तो जीएसआर रिपोर्ट में पाया गया की पिस्टल से कोई फायरिंग नहीं हुई हैं । वही मुठभेड़ में मारा गया श्रवण यादव को क्लोज रेंज से गोली लगी थी। जबकि एफआईआर में एक दूरी से गोली चलाने का जिक्र किया गया हैं । मुठभेड़ में पुलिस ने जो हथियार इस्तेमाल किया इसमें क्रमशः इंसास राइफल -2 , .303 राइफल-1 व 9 एमएम पिस्टल -1 की जांच हुई हैं ।

    पुलिसकर्मियो पर दर्ज होना चाहिए हत्या का मामला -अधिवक्ता

    अधिवक्ता संजीव कुमार के अनुसार फेक एनकाउंटर को दुर्घटना नहीं बल्कि पुरी तौर पर हत्या हैं । रेड में शामिल पुलिस पदाधिकारियों व पुलिसकर्मियों ने एक आम व्यक्ति की हत्या तो किया ही, इससे भी बड़ी बात यह है की धोखा से अपने साथी तत्कालीन थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह को गोली मारकर हत्या कर दिया । सच्ची घटना को छुपाकर एक बनावटी एनकाउंटर की कहानी बनाया ,इसमें एक सिपाही को भी जख्मी कर दिया । इस घटना में शामिल सभी पुलिस पदाधिकारी व पुलिसकर्मी ने बड़ा अपराध किया हैं । सभी के विरूद्ध हत्या / धोखाधड़ी का मामला दर्ज होना चाहिए । नहीं तो आम लोगों का पुलिस और कानून पर से भरोसा उठ जाएगा ।

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