गांधीनगर । गुजरात (Gujarat)के गांधीनगर(Gandhinagar) में एक व्यक्ति द्वारा अपने ऑफिस में फर्जी अदालत (Fake court in office)खोलकर जज की तरह आदेश पारित (Order passed)करने का मामला सामने आया है। इसका खुलासा होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। गुजरात पुलिस ने सोमवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गांधीनगर में एक व्यक्ति ने अपने ऑफिस में फर्जी न्यायाधिकरण (Tribunal) स्थापित कर लिया। साथ ही खुद को उसका जज पेश कर वास्तविक अदालत जैसा माहौल बनाते हुए आदेश भी पारित कर दिए।
पुलिस ने बताया कि आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने 2019 में सरकारी जमीन से जुड़े एक मामले में अपने मुवक्किल के पक्ष में आदेश पारित किया था। पुलिस का कहना है कि यह इस बात संकेत है कि यह फर्जी अदालत कम से कम पिछले पांच साल से चल रही थी।
एक सरकारी बयान के अनुसार, अहमदाबाद पुलिस ने मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन को कथित रूप से एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) के जज के रूप में खुद को पेश करने और अनुकूल आदेश पारित करके लोगों को धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। क्रिश्चियन ने ऐसा करने के लिए दावा किया था कि कानूनी विवादों का निपटारा करने के लिए एक सक्षम अदालत ने उसे मध्यस्थ (Arbitrator) नियुक्त किया है।
सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार की शिकायत पर हुआ ऐक्शन
अहमदाबाद शहर के सिविल कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा करंज थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद इस शातिर ठग के खिलाफ कार्रवाई की गई और उसकी फर्जी अदालत का भंडाफोड़ हुआ।
बयान के मुताबिक, मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 170 और 419 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला है कि क्रिश्चियन उन लोगों को फंसाता था जिनके भूमि विवाद से संबंधित मामले शहर के सिविल कोर्ट में लंबित थे। वह अपने मुवक्किलों से उनके मामले को सुलझाने के लिए फीस के रूप में एक निश्चित रकम लेता था।
जमीन विवादों सुझलाने के नाम पर करता था ठगी
पुलिस के अनुसार, क्रिश्चियन पहले खुद को अदालत द्वारा नियुक्त एक आधिकारिक मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता था फिर अपने मुवक्किलों को गांधीनगर स्थित अपने दफ्तर में बुलाता था। इस दफ्तर को उसने एकदम अदालत की तरह बनाया हुआ था, जहां वह न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी के रूप में आदेश पारित करता था।
बयान में कहा गया है कि उसके साथी अदालत के कर्मचारी या वकील के रूप में खड़े होकर ऐसा माहौला बनाते थे कि कार्यवाही वास्तविक है। 2019 में क्रिश्चियन ने इसी कार्यप्रणाली का उपयोग करके अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित किया था।
क्या है मामला
यह मामला जिला कलेक्टर के अधीन एक सरकारी भूमि से संबंधित था, जबकि उनके मुवक्किल ने इस पर दावा किया था और पालडी क्षेत्र में स्थित भूखंड से संबंधित राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम जोड़ना चाहते थे।
मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत किसी भी अदालत द्वारा जारी किसी भी प्राधिकरण या आदेश के बिना क्रिश्चियन ने अपने मुवक्किल से कहा था कि सरकार द्वारा उसे “आधिकारिक मध्यस्थ” नियुक्त किया गया है।
बयान में कहा गया कि इसके बाद ठग ने अपनी ‘अदालत’ में फर्जी कार्यवाही शुरू की और अपने मुवक्किल के पक्ष में एक आदेश पारित कर दिया। उस आदेश में कलेक्टर को उस भूमि के राजस्व रिकॉर्ड में अपने मुवक्किल का नाम जोड़ने का निर्देश दिया गया था। उस आदेश को लागू करने के लिए क्रिश्चियन ने एक अन्य वकील के माध्यम से शहर की सिविल अदालत में अपील दायर की और अपने द्वारा पारित उस धोखाधड़ी वाले आदेश को भी संलग्न किया। हालांकि, अदालत के रजिस्ट्रार हार्दिक देसाई को हाल ही में पता चला कि न तो क्रिश्चियन मध्यस्थ है और ना ही न्यायाधिकरण का आदेश वास्तविक है।
बयान में कहा गया है कि उनकी शिकायत के बाद, करंज पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और ठग को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ 2015 में अहमदाबाद शहर के मणिनगर पुलिस थाने में धोखाधड़ी की शिकायत पहले से ही दर्ज है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved