नई दिल्ली (New Delhi)। रूस के लूना-25 चंद्र मिशन (Russia’s Luna-25 lunar mission) की नाकामी का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) (Indian Space Research Organization – ISRO) के चंद्रयान-3 अभियान (Chandrayaan-3 mission) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत के शीर्ष अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोसमोस ने रविवार को जानकारी दी थी कि अनियंत्रित कक्षा में प्रवेश करने के बाद लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
चंद्रयान-2 मिशन को 2019 में भेजे जाने के समय इसरो के पूर्व प्रमुख रहे के. सिवन ने सोमवार को कहा, इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। उनसे यह पूछा गया था कि रूसी मिशन की नाकामी के बाद क्या इसरो ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले अतिरिक्त दबाव में है।
सिवन ने कहा, चंद्रयान-3 मिशन योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहा। यह (सॉफ्ट लैंडिंग) योजना के अनुसार होगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार (चंद्रयान-2) के उलट यह (सतह पर उतरने में) सफल रहेगा।
वहीं इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर ने कुछ हलकों में हो रही इस चर्चा को खारिज कर दिया कि भारत और रूस चंद्रमा पर पहुंचने की दौड़ में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि लूना-25 का दुर्घटनाग्रस्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
चंद्रयान-3 मिशन पर इसका कोई असर पड़ने की संभावना से इनकार करते हुए नायर ने कहा कि भारत का यह मिशन पूरी तरह से आत्मनिर्भर है और हम रूस पर निर्भर नहीं हैं। अभी रूस के साथ भारत का अंतरिक्ष सहयोग मानव को अंतरिक्ष में भेजने के गगनयान अंतरिक्ष अभियान के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षण देने तक सीमित है।
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