मुंबई । महाराष्ट्र (Maharashtra) में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New National Education Policy) के तहत हिंदी भाषा (Hindi language) को कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य करने के फडणवीस सरकार (Fadnavis government) के फैसले को झटका लगा है। सरकार द्वारा नियुक्त महाराष्ट्र भाषा पैनल ने हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले को खारिज कर दिया है। भाषा समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने मुख्यमंत्री देवेंन्द्र फडणवीस को पत्र लिखकर इस आदेश को रद्द करने का आग्रह किया है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने 17 अप्रैल को इस फैसले को लागू करने की घोषणा की थी, जिसके अनुसार राज्य के मराठी भाषी स्कूलों में भी हिंदी को पढ़ाया जाना था।
रिपोर्ट के मुताबिक सीएम फडणवीस को लिखे पत्र में देशमुख ने अपने विरोध का कारण दिया है। कई बिंदुओं में इसको समझाते हुए देशमुख ने कहा, “प्राथमिक स्कूलों में छात्रों को केवल मातृभाषा में ही पढ़ाया जाना चाहिए, जबकि तीन भाषा नीति को हम उच्चतर माध्यमिक स्तर से लागू कर सकते हैं। हिंदी भाषा को जबरन स्कूली शिक्षा में शामिल करना अनावश्यक है। राज्य की वर्तमान शिक्षा पद्धति में पहले से ही मराठी और अंग्रेजी भाषा की गुणवत्ता खराब है.. क्योंकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। तीसरी भाषा शुरू हो जाने से शिक्षकों पर भी बोझ बढ़ जाएगा। इस नीति का सबसे बड़ा नुकसान यह होगा कि छात्र तीनों में से किसी एक भाषा को भी ढंग से नहीं सीख पाएगा।
देशमुख ने कहा कि अगर हिंदी पढ़ाने के लिए हिंदी भाषी लोगों का चयन उनके बोलने के आधार पर किया गया तो मराठी लोगों का रोजगार छिन जाएगा। उन्होंने हिंदी की जगह पर अंग्रेजी को महत्व देने की वकालत करते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने 2001 में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य कर दिया था.. और उच्च शिक्षा में भी यह जरूरी है। इसलिए बेहतर मराठी के साथ बेहतर अंग्रेजी के विकल्प पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
पैनल के मुताबिक, “कई भाषा विदों का मानना है कि हिंदी के कारण महाराष्ट्र को काफी भाषाई और सांस्कृतिक नुकसान हुआ है। भाषाई लिपि कि विविधता की वजह से उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोग एक दूसरे की भाषा नहीं सीखते लेकिन महाराष्ट्र में हिंदी भाषा सीखी और सिखाई जाती है। अगर भाषाई समानता के आधार पर भी उत्तर भारत के लोग मराठी नहीं सिखते और प्रवासी भी मराठी बोलने को तैयार नहीं है तो सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य करने का फैसला मराठी और उसके बोलने वालों का अपमान है।”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जब समिति के पत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि फिलहाल मैंने वह पत्र नहीं पढ़ा है लेकिन मैं इतना साफ कर देना चाहता हूं कि हिंदी, मराठी का विकल्प नहीं है.. मराठी अनिवार्य है लेकिन नई शिक्षा नीति के तहत तीन भाषा पढ़ाई जाना जरूरी है। इनमें से दो भारतीय भाषाएं होनी चाहिए। अगर किसी स्कूल में किसी और भारतीय भाषा को पढ़ाए जाने की मांग की जाती है और कम से कम बीस बच्चे भी उसमें अपनी सहमति देते हैं तो उन्हें उसी आधार पर भाषा की सामग्री और शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा अगर नहीं तो ऑनलाइन क्लासेज की व्यवस्था की जाएगी.. हां इस फैसले में पड़ोसी राज्य की स्थिति को भी देखा जाएगा।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved