नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले सियासी उठापटक जारी है. इस कड़ी में टिकट को लेकर सबसे ज्यादा घमासान सपा में देखने को मिल रहा है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) एक ही सीट पर तीन बार उम्मीदवार बदल चुके हैं. मुरादाबाद की तरह मेरठ में पर्चा भरने के बाद भी टिकट बदल दिया.अब तक आठ टिकट बदले जा चुके हैं. चर्चा है कि कुछ लाइन में भी हैं.
3 अप्रैल को अतुल प्रधान ने मेरठ से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया. इसके ठीक 24 घंटे बाद सुनीता वर्मा ने पर्चा भरा. अब वही सपा से चुनाव लड़ेंगी. सुनीता का टिकट लेकर उनके पति हेलिकॉप्टर से गुरुवार को लखनऊ से मेरठ पहुंचे. अतुल से पहले भानु प्रताप सिंह को टिकट मिला था. पहले खबर आई कि टिकट कटने से नाराज अतुल पार्टी भी छोड़ सकते हैं. मगर, अखिलेश की क्लास का उन पर असर हो गया है.
मेरठ वाला खेल बागपत में भी हुआ. पहले जाट बिरादरी के मनोज चौधरी को टिकट मिला. मगर गुरुवार को अमरपाल शर्मा ने नामांकन भरा. कभी अखिलेश यादव के पार्टनर रहे आरएलडी नेता जयंत चौधरी को तो बस मौका मिल गया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘विपक्ष में किस्मत वालों को ही कुछ घंटों के लिए लोकसभा का टिकट मिलता है और जिनका टिकट कटा नहीं उनका नसीब’.
उधर, बदॉयू में भी सब कुछ ठीक नहीं है. कहा जा रहा है कि अखिलेश को अब यहां भी उम्मीदवार बदलना होगा. चाचा शिवपाल यादव अपने बदले बेटे आदित्य को चुनाव लड़ाना चाहते हैं. शिवपाल से पहले अखिलेश ने भाई धर्मेंद्र यादव को टिकट दिया था. टिकट बदलने के चक्कर में मुरादाबाद में समाजवादी पार्टी की बैंड बजी हुई है. आजम खान के कहने पर अखिलेश यादव ने वर्तमान सांसद एसटी हसन का टिकट काटकर रुचि वीरा को टिकट दे दिया, जबकि एसटी हसन नामांकन कर चुके थे.
इतना ही नहीं नोएडा में भी समाजवादी पार्टी ने सबको हैरान किया. जिसका टिकट काटा, अब उसको ही टिकट मिल गया है. पहले महेंद्र नागर को टिकट दिया था. फिर बदलकर राहुल अवाना को, अवाना का विरोध हुआ तो महेंद्र पर मुहर लगी. टिकट बदलते रहने से पार्टी में गुटबाजी और कलह चरम पर है. पार्टी के नेता एक-दूसरे का काम लगाने में लगे हैं. ऐसे में अखिलेश यादव का PDA वाला फॉर्मूला कहीं टिकट कटने के चक्रव्यूह में अभिमन्यु न बन जाए.
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