• img-fluid

    समरकंद में गुट सापेक्ष्यता

  • September 19, 2022

    – डॉ. वेदप्रताप वैदिक

    समरकंद में हुए शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में यदि चीन के नेता शी चिनपिंग और पाकिस्तान के नेता शहबाज शरीफ से हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत वार्ता हो जाती तो उसे बड़ी सफलता माना जाता लेकिन उज्बेक, ईरान, रूस और तुर्कीए के नेताओं से हुई उनकी मुलाकातें काफी महत्वपूर्ण रहीं। अब भारत इस वर्ष इस संगठन की अध्यक्षता भी करेगा। अध्यक्ष के नाते अब उसे अन्य सदस्य राष्ट्रों के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान से भी सीधी बात करनी होगी। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवादी घटनाओं को रोकना है। इसके लगभग सभी देश आतंकवाद से त्रस्त हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि इस संगठन ने आतंकवाद के विरुद्ध प्रस्ताव तो बहुत पारित किए हैं लेकिन आज तक ठोस कदम कोई नहीं उठाया है।

    इसके बावजूद इस संगठन के शिखर सम्मेलनों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिए इसके सदस्य राष्ट्रों के द्विपक्षीय संबंध मजबूत बनते हैं। उदाहरण के लिए तुर्किए के राष्ट्रपति रजब तय्यब एर्दोअन के साथ हुई मोदी की भेंट का विशेष महत्व है, क्योंकि उन्होंने कश्मीर के सवाल पर भारत के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र संघ और पाकिस्तान की संसद में बड़े कटु शब्दों का प्रयोग किया था। इस भेंट में दोनों देशों के बीच व्यापार आदि बढ़ाने पर बात हुई। इसी प्रकार रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन से हुई भेंट में भारत-रूस संबंधों की बढ़ती हुई घनिष्टता पर जमकर विचार हुआ। पुतिन ने मोदी को जन्मदिन की अग्रिम बधाई दी। मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को बंद करने की वकालत की। इसी तरह मोदी ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से भी पहली बार मिले। दोनों ने चाहबहार के बंदरगाह की प्रगति के बारे में बात की। दोनों के बीच अफगानिस्तान में शांति-स्थापना के बारे में भी बात हुई। दोनों नेताओं ने मध्य और दक्षिण एशिया के राष्ट्रों के बीच आवागमन और परिवहन को सरल और सुलभ बनाने पर भी बात की।

    प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में इस सम्मेलन में आए नेताओं को भारत की आर्थिक उपलब्धियों से अवगत करवाया और संकट में फंसे पड़ोसी राष्ट्रों को भारत द्वारा दी गई मदद का भी जिक्र किया। लेकिन आश्चर्य है कि इस संगठन ने भयंकर विनाश में फंसे पाकिस्तान की मदद का कोई संकल्प नहीं दिखाया। वह भी तब जबकि शहबाज शरीफ ने खुलेआम अपनी दुर्दशा का वर्णन किया। चीन के नेता चिनपिंग ने भारत को अध्यक्ष बनने की बधाई जरूर दी लेकिन भारत ने अपने आप को चीनी रेशम महापथ की संयुक्त सराहना से अलग रखा।

    यहां ध्यातव्य तथ्य यह है कि शंघाई सहयोग संगठन के प्रति अमेरिका का रुख मैत्रीपूर्ण नहीं है और रूस, चीन और ईरान जैसे राष्ट्रों से उसके संबंध काफी तनावपूर्ण हैं, इसके बावजूद भारत के प्रति अमेरिका ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। अमेरिका विरोधी राष्ट्रों के बीच भारत महत्वपूर्ण मध्यममार्गी राष्ट्र है। यह भारतीय विदेश नीति की सफलता ही मानी जाएगी। यह गुट निरपेक्षता से आगे की चीज है। इसे मैं गुट सापेक्ष्यता कहता हूं। इसे नाॅन एलाइनमेंट की जगह मल्टी एलाइनमेंट कहा जा सकता है। इसे मैंने सम-दूरी की बजाय सम-सामीप्य की नीति भी कहा है।

    (लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)

    Share:

    मप्र में मिले कोरोना के 19 नये मामले, 26 मरीज संक्रमण मुक्त हुए

    Mon Sep 19 , 2022
    भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में बीते 24 घंटों के दौरान कोरोना के 19 नये मामले (19 new cases of corona last 24 hours) सामने आए हैं, जबकि 26 मरीज कोरोना संक्रमण से मुक्त हुए हैं। इसके बाद राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 10 लाख 54 हजार 065 हो गई है। हालांकि, राहत की बात […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    रविवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved