इंदौर को भिखारियों से मुक्त करवाने वाले अभियान की ये है हकीकत
इंदौर। शहर (Indore) को बीते कुछ वर्षों से भिखारी मुक्त (Beggar free) बनाने के लगातार दावे करते हुए अभियान चलाए जा रहे हैं, मगर नतीजा उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल पा रहा है। अभी भी अधिकांश चौराहों-मंदिरों (Squares-temples) और बाजारों (Markets) में बड़ी संख्या में भिखारी नजर आते हैं। शहर में भिक्षावृत्ति के खिलाफ लगातार जो संस्था परम पूज्य रक्षक आदीनाथ वेलफेयर एंड एज्यूकेशन सोसायटी यानी प्रवेश है उनकी टीमों पर अबतक 72 बार हमले हो चुके हैं, तो करोड़ों रुपए का भुगतान अलग रोके रखा है। दूसरी तरफ मिथ्या आरोप अलग लगाए जाते रहे हैं, जिसके चलते अभी संस्था ने एक विस्तृत पत्रभी कलेक्टर को सौंपा, जिसमें भिक्षावृत्ति मुक्त शहर को बनाने में आ रही दिक्कतों की जानकारी भी दी गई है।
स्माइल बेगरी के तहत परदेशीपुरा स्थित भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र का संचालन भी संस्था प्रवेश द्वारा किया जा रहा है और पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत भी इसका संचालन संस्था द्वारा ही किया गया और यह प्रोजेक्ट पूर्ण होने के बाद अब स्माइल योजना का क्रियाान्वयन किया जा रहा है, जिसमें भिखारियों का आईडेंटीफिकेशन, रेस्क्यू, मोबीलाइजेशन और कम्प्रीहेंसिव रीसेटलमेंट यानी व्यापक पुनर्वास किया जाता है, जिसमें 50-50 हितग्राहियों के क्लस्टर में काम किया जाता है, जिसमें कम से कम तीन महीने और अधिकतम 6 महीने में व्यापक पुनर्वास की प्रक्रिया पूर्ण करनी पड़ती है। संस्था प्रवेश की अध्यक्ष रुपाली जैन ने अपने इस पत्र में यह भी कहा कि अभी पिछले दिनों महिला बाल विकास की दो कर्मचारियों ने चार बुजुर्ग और एक अपाहिज भिक्षुक को रेस्क्यू किए बिना सूचना के पुनर्वास केन्द्र लाया गया और जब उन्हें यह समझाया कि स्माइल योजना का प्रारुप अलग है और इस तरह पुनर्वास केन्द्र में नहीं रखा जा सकता, जब तक हितग्राही स्वयं स्वेच्छा से पुनर्वासित होने के लिए हामी नहीं भरता तब तक उसे केन्द्र पर नहीं ला सकते हैं, क्योंकि मंत्रालय के नेशनल पोर्टल पर तमाम जानकारी स्टैक होल्डर को अपलोड करना पड़ती है। संस्था का 19 माह से करोड़ों रुपए का भुगतान भी अटका है और 72 हमले किए गए और अभियान को बंद करने की धमकियां अलग मिलती रही है। लिहाजा कलेक्टर से इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कराने का अनुरोध भी संस्था ने किया है।
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