आंख फड़कने (Eye twitching) का संबध शुभ या अशुभ (Good or bad) संकेत देने से नहीं है, बल्कि इसकी वजह है मांसपेशियों में ऐंठन। मेडिकल में इसकी तीन कंडीशन होती हैं- मायोकीमिया (Myokymia), ब्लेफेरोस्पाज्म (Blepharospasm) और हेमीफेशियल स्पाज्म (Hemifacial) । इन कंडीशन के अलग-अलग कारण और प्रभाव होते हैं।
किस कंडीशन का प्रभाव?
मायोकेमिया मांसपेशियों की सामान्य सिकुड़न के कारण होता है। इससे आंख की नीचे वाली पलक पर ज्यादा असर पड़ता है. ये बहुत थोड़े समय के लिए होता है। ब्लेफेरोस्पाज्म और हेमीफेशियल स्पाज्म दोनों बेहद गंभीर मेडिकल कंडीशन्स में से एक हैं जो अनुवांशिक कारणों से भी जुड़ी हो सकती है। ब्लेफेरोस्पाज्म इंसान की आंख तक बंद हो सकती है, यानी तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
ब्रेन या नर्व डिसॉर्डर तो नहीं?
डॉक्टर्स के मुताबिक, ब्रेन या नर्व डिसॉर्डर के चलते भी इंसान की आंख फड़क सकती है। लाइफस्टाइल में कुछ खामियों की वजह से भी लोगों को ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं।
तनाव को करें कंट्रोल
डॉक्टर्स के मुताबिक तनाव भी इस समस्या का मुख्य कारण है। स्ट्रेस की वजह से भी कुछ लोगों को आंख फड़कने की समस्या होती है, इसलिए अगर आपकी आंख भी फड़कती रहती है तो सबसे पहले तनाव खत्म करें।
आंखों को दें रिलेक्स
आई स्ट्रेन भी इसकी प्रमुक वजह है। अगर आप पूरा दिन टीवी, लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन के साथ बिता रहे हैं तो इन चीजों से जल्द दूरी बना लीजिए।
नींद पूरी लें
अक्सर हम काम या दौड़-भाग के चलते नींद पूरी नहीं कर पाते तो भी आंख फड़कने की समस्या होने लगती है, इसलिए नींद पूरी लें। डॉक्टर्स के मुताबिक एक इंसान को कम से कम रोजाना 7-9 घंटे सोना चाहिए।
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