बीजिंग। चीन और ताइवान की गहमागहमी के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को चीन में शामिल करने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वह ताइवान को शांतिपूर्ण तरीके से चीन में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन अगर उन्हें सैन्य बल के इस्तेमाल की जरूरत महसूस हुई तो वह इससे भी पीछे नहीं हटेंगे।
चीन के राष्ट्रपति ने इस दौरान यह भी कहा है कि किसी भी देश को उनके आंतरिक मसले में बोलने का अधिकार नहीं है और वह किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त भी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा है कि चीन का एकीकरण होकर रहेगा।
अमेरिका को सीधे तौर पर धमकी
राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बयान को अमेरिका को सीधे तौर पर चुनौती माना जा रहा है। क्योंकि, पिछले एक सप्ताह से ताइवान मसले पर दोनों देश आक्रामक रूप से सामने आ चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ किया है कि चीन को ताइवान समझौते का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पिछले महीने उनकी और चीनी राष्ट्रपति की इस मसले पर फोन पर बातचीत भी हुई थी और जिनपिंग ताइवान समझौते का पालन करने के लिए सहमत थे। हालांकि, अब चीन ने साफ कर दिया है कि ताइवान उनका आतंरिक मसला है और वह किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।
चीन के एकीकरण के लिए बल का भी होगा प्रयोग
एक कार्यक्रम के दौरान शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश मानता है, लेकिन चीन उसे अपना हिस्सा मानता है। ऐसे में चीन के एकीकरण के लिए सैन्य बल के प्रयोग से भी पीछे नहीं हटा जाएगा। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि चीन के एकीकरण में ताइवान स्वतंत्रता बल सबसे बड़ा रोड़ा था। राष्ट्र के रूप में चीन की कमजोरी के कारण ताइवान जैसा सवाल खड़ा हुआ है।
अब इसे राष्ट्रीय मुद्दे की तरह हल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह है कि एकीकरण की इच्छा चीन के लोगों की इच्छा है। पिछले सप्ताह से अबतक करीब 150 चीनी लड़ाकू विमान ताइवान की वायु सीमा में उड़ान भर चुके हैं। इसको लेकर ताइवान और अमेरिका चिंता जाहिर कर चुके हैं। ताइवान तो यहां तक कह चुका है कि वह अपनी स्वायत्ता की रक्षा के लिए पीछे नहीं हटेगा।
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