चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को चार दिवसीय रूस यात्रा के लिए रवाना होंगे। जयशंकर मॉस्को में आयोजित होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे। मिली जानकारी के अनुसार, विदेश मंत्री यात्रा के दौरान ईरान में रुक सकते हैं।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक मॉस्को में जयशंकर द्वारा चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। इस बैठक में सीमा विवाद का मुद्दा उठ सकता है। जयशंकर मॉस्को में आयोजित आठ सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने जा रहे हैं जिसमें भारत और चीन सदस्य हैं।
सीमा पर स्थिति बहुत गंभीर: जयशंकर
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मॉस्को में संभावित वार्ता से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर बनी स्थिति को पड़ोसी देश के साथ समग्र रिश्तों की स्थिति से अलग करके नहीं देखा जा सकता। विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख के हालात को ‘बहुत गंभीर’ करार दिया और कहा कि ऐसे हालात में दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर ‘बहुत बहुत गहन विचार-विमर्श’ की जरूरत है। गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में मॉस्को की यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था। वहीं, शुक्रवार को राजनाथ ने अपने चीनी समकक्ष जनरल वेई फेंगही के साथ करीब दो घंटे तक पूर्वी लद्दाख में सीमा पर बढ़े तनाव को लेकर बैठक की थी।
चीनी विदेश मंत्री को दिया गया था कड़ा संदेश
राजनाथ और फेंगही के बीच हुई बातचीत में सिंह ने वेई को विशेष तौर पर कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन नहीं छोड़ेगा और वह किसी भी कीमत पर अपनी अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। आधिकारिक बयान के मुताबिक सिंह ने चीनी समकक्ष को बता दिया कि चीन को सख्ती से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने के लिए कोई भी एकतरफा कोशिश नहीं करनी चाहिए।
वांग और जयशंकर के बीच हो सकती है वार्ता
बताया जा रहा है कि जयशंकर और वांग की गुरुवार को द्विपक्षीय बैठक होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि विदेश मंत्रियों ने 17 जून को फोन पर बात की थी और इस दौरान पूरे मामले को जिम्मेदार तरीके से संभालने पर सहमति बनी थी।
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लद्दाख झड़प को लेकर हुई थी बातचीत
जयशंकर और वांग के बीच हुई बातचीत दोनों देशों के सैनिकों के बीच गलवां घाटी में हुई झड़प के दो दिन बाद हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प से तनाव कई गुना बढ़ गया। इस झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे लेकिन अब तक चीन की ओर से जानकारी नहीं दी गई है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इस झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए थे।
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