नई दिल्ली: तीन फ्रांसीसी राफेल (Rafale) के भारत में लैंड होने के बाद विदेश मंत्री एम जयशंकर (EAM Jaishankar) ने फ्रेंच इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में ‘भारत फ्रांस (France) के संबंध पर भाषण दिया. उन्होंने कहा राफेल प्रोजेक्ट पूरा हो गया है. भारत समुद्र से लेकर अंतरिक्ष तक सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने में फ्रांस को विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखता है.
उन्होंने कहा कि, ‘मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि 75 साल पहले एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हमारी यात्रा शुरू होने के बाद से यह (भारत-फ्रांस संबंध) अब तक का सबसे मजबूत संबंध है.’ विदेश मंत्री ने आगे कहा, दुनिया आज कई मुसीबतों के बीच में है, जिसमें एक यूरोप भी शामिल है. यूक्रेन और रूस के बीच जारी गतिरोध की जड़ें सोवियत के बाद की सियासत में हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ रूस के बीच बने इन हालात को लेकर मौजूदा की जड़ें नाटो (NATO) के विस्तार और यूरोपीय देशों के साथ रूस के बदलते संबंधों में भी हैं.
बातचीत के जरिए समाधान निकालने पर जोर
ये पिछले 30 साल में बनीं जटिल परिस्थितियों का परिणाम है कि आज युद्ध के हालात बन गए हैं. उन्होंने कहा कि शांति बनी रहनी चाहिए, युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और फ्रांस की तरह कई सक्रिय देश इस मसले के कूटनीतिक समाधान की मांग कर रहे हैं.
पश्चिमी यूरोप के देश फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका खुलकर रूस के खिलाफ यूक्रेन के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं, तो वहीं कई देश इन दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात पर काबू पाने के लिए बातचीत के जरिए इसका समाधान चाहते हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इमरजेंसी बैठक में भारत ने दोनों देशों के बीच तटस्थ रवैया अपनाते हुए इस विवाद का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिये निकाले जाने की बात कही है.
भारत-चीन के संबंध पर जयशंकर ने कही ये बात
एस जयशंकर ने ताइवान और यूक्रेन की तुलना से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि इन दोनों देशों के हालात अलग हैं, दोनों देशों की उत्पत्ति की पृष्ठभूमि भी अलग है. उन्होंने चीन और भारते के बीच के संबंध को लेकर कहा कि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर 13 दौर की सैन्य वार्ता के बाद कई जगह समाधान निकला.
कुछ जगह अब भी टकराव है जिसका समाधान किया जाना है. विदेश मंत्री ने साफ किया कि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा में एकतरफा बदलाव के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगे.बता दें मंगलवार रात को तीनों विमानों की डिलीवरी के साथ फ्रांस ने 36 लड़ाकू विमानों की पूरी खेप भारत को फ्रांस में सौंप दी है. अखिल भारतीय के साथ अंतिम लड़ाकू विमान अगले महीने वितरित होने की उम्मीद है.
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