नई दिल्ली । विदेश मंत्री जयशंकर (External Affairs Minister Jaishankar) ने जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक के साथ (With German Foreign Minister Annalena Baerbock) विभिन्न मसलों पर चर्चा की (Discussed Various Issues) । भारत दौरे पर आईं जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक के साथ वैश्विक और समकालीन विश्व के मुद्दों पर चर्चा करते हुए भारत और जर्मनी के महत्वपूर्ण सहयोग और समन्वय को चिह्नित किया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने जर्मनी के वाइस चांसलर रॉबर्ट हेबेक के साथ भी सार्थक बातचीत की। रॉबर्ट हेबेक जर्मनी के आर्थिक मामलों और जलवायु कार्रवाई मंत्री भी हैं। ये चर्चाएं सातवें भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) बैठक का हिस्सा थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया कि आईजीसी की बैठक सफल रही। उन्होंने बैरबॉक और हेबेक के साथ अपनी अलग-अलग बैठकों की तस्वीरें पोस्ट की। जयशंकर ने एक्स पर लिखा, “आज सफल आईजीसी बैठक के बाद जर्मनी के विदेश मंत्री एनालेना बैरबॉक से मिलकर खुशी हुई। कई क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। हमारी रणनीतिक साझेदारी अपने 25वें वर्ष में प्रवेश करते हुए और भी गहरी होती जा रही है।”
विदेश मंत्री के इस बयान से भारत और जर्मनी के बीच लगातार मजबूत होते संबंधों के बारे में पता चलता है। हबेक ने अपनी भारत यात्रा के दौरान शुक्रवार को भारत के कई मंत्रियों से बातचीत की। विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि उनकी हेबेक के साथ “अच्छी बातचीत” हुई और दोनों नेताओं ने दुनिया में इस समय चल रही वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा की।
विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “जर्मनी के वाइस-चांसलर और आर्थिक मामलों एवं जलवायु कार्रवाई मंत्री रॉबर्ट हेबेक के साथ अच्छी बातचीत हुई। सामरिक और आर्थिक दोनों तरह की समकालीन वैश्विक चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ।” हबेक ने दिल्ली के द्वारका स्थित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर तक पहुंचने के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ दिल्ली मेट्रो से यात्रा भी की।
जर्मनी से आए अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए गोयल ने कहा, “हमारा प्रयास भविष्य के लिए तैयार शहरों का निर्माण करना है जो बड़ी मात्रा में यातायात को संभालने में सक्षम हों।” बता दें कि इससे पहले शुक्रवार को एशिया प्रशांत सम्मेलन के दौरान, हेबेक ने इन आर्थिक बदलावों में एक बड़े एवं महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को भी बताया था।
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