नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया विश्वविद्यालय के बीडीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों का प्रवेश रद्द करने के मामले में उचित कार्रवाई नहीं होने पर कड़ी नाराजगी जताई है। इन छात्रों को नीट-2021 में सफलता के बाद दाखिला मिला था। अदालत ने मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय से जवाब तलब किया है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने महानिदेशालय को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि जब चार फरवरी को ही तकनीकी खामी के बारे में जानकारी मिल गई थी तो छात्रों का दाखिला रद्द करने के लिए 16 मार्च तक का इंतजार क्यों किया गया। अदालत ने महानिदेशालय को एक सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले की सुनवाई 12 अप्रैल तय की है।
सुनवाई के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया ने अदालत को बताया कि काउंसलिंग, दाखिले से संबंधित तकनीकी खामी की जानकारी स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधीन कार्यरत मेडिकल काउंसलिंग कमेटी को भेज दी गई थी। अदालत ने हुदा अंसारी और नूर खालिद द्वारा दाखिल याचिका पर यह आदेश दिया है। याचिका में उन्होंने मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के 16 मार्च, 2022 के उस आदेश को रद्द करने की मांग की है।
15 साल से ज्यादा पुरानी कार के पंजीकरण के नवीनीकरण की अनुमति से इनकार
दिल्ली हाईकोर्ट ने एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के मद्देनजर 15 वर्ष से अधिक पुरानी पेट्रोल कार के पंजीकरण के नवीनीकरण की अनुमति देने से इनकार कर दिया । न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने कहा कि दिल्ली सरकार की नीति के अनुसार याचिकाकर्ता द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुसार क्षेत्रों में तय मानदंडों के अधीन वाहन के हस्तांतरण के लिए हमेशा अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है। अदालत ने कहा, एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेशों के मद्देनजर याचिकाकर्ता दिल्ली-एनसीआर में चलने के उद्देश्य से 15 साल पूरे होने के बाद पेट्रोल वाहन के पंजीकरण के नवीनीकरण की मांग नहीं कर सकता है।
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