नई दिल्ली। दुनियाभर में व्यापार संबंधी अनिश्चितताओं के बावजूद भारत से निर्यात तेजी से नई दिशा में आगे बढ़ रहा है। द्विपक्षीय करार, मुक्त व्यापार समझौते और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका व मध्य एशिया जैसे नए बाजारों तक पहुंच से भारत से वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 2030 तक बढ़कर एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नई पहलों के साथ भारत से कीमती धातुओं, खनिजों, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजीनियरिंग उत्पादों, फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक रसायन, कपड़ा, मसालों और रक्षा उपकरणों के निर्यात में आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है। इससे भारत से निर्यात फरवरी, 2024 में सालाना आधार पर 11.9 फीसदी बढ़कर 41.4 अरब डॉलर पहुंच गया। यह मार्च, 2023 के बाद सर्वाधिक निर्यात है।
इसके अलावा, भारत ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और मध्य एशिया जैसे नए बाजारों में अप्रैल-दिसंबर, 2023 अवधि के दौरान 23.4 करोड़ डॉलर की कारों, दोपहिया-तिपहिया वाहनों व कीमती धातुओं समेत अन्य उत्पादों का निर्यात किया।
बेहतर संभावनाओं के बीच लक्ष्य पाना संभव
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, मध्य से लंबी अवधि में भारतीय निर्यात को लेकर संभावनाएं काफी उत्साहजनक हैं। हम 2030 तक एक-एक लाख करोड़ डॉलर की वस्तुओं व सेवाओं दोनों के निर्यात लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में अग्रसर हैं। हालांकि, 2024-25 की पहली तिमाही में उच्च महंगाई व विभिन्न देशों के बीच तनाव से निर्यात के मोर्चे पर भारत को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सहाय ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि अमेरिकी फेड रिजर्व अपनी अगली समीक्षा में दरों में कटौती करना शुरू कर देगा। इससे अन्य देश के केंद्रीय बैंक भी दरें घटाने को प्रेरित होंगे, जिससे मांग को बढ़ावा मिलेगा।
लाल सागर संकट को भारत ने बनाया अवसर
फियो महानिदेशक ने कहा, हम बहुत ही कम अवधि में संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साझेदार देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि देख रहे हैं। इन देशों में निर्यात में बहुत तेज वृद्धि हो रही है। मौजूदा लाल सागर संकट पर उन्होंने कहा, यह वैश्विक व्यापार के लिए एक नई चुनौती है। लेकिन, भारत ने चतुराई से इस विपरीत स्थिति को अवसर में बदल दिया है। केप ऑफ गुड होप के जरिये लंबे मार्गों को अपनाने से अफ्रीका-अमेरिका में नए बाजार खुल रहे हैं।
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