नई दिल्ली। भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में ओमिक्रॉन वैरिएंट का कहर जारी है। इस वैरिएंट से वो लोग भी संक्रमित हो रहे हैं, जिनको वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट में 35 से ज्यादा म्यूटेशन देखे गए हैं जो इसे कोरोना का सबसे संक्रामक वैरिएंट बनाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को इससे बचाव के लिए लगातार कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना चाहिए, इसमें बरती गई कोई भी लापरवाही आपमें संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकती है।
ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों ने देश में तीसरी लहर की आशंका को तेज कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वैरिएंट से संक्रमण के मामले भले ही हल्के हैं, फिर भी लोगों को विशेष सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हमारी कुछ सामान्य सी गलतियां और गलतफहमियां संक्रमण का खतरे को बढ़ा देती हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों के रोजाना के आंकड़ों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं, कोरोना के संक्रमण से बचे रहने के लिए हमें किन गलतफहमियों के चक्कर में नहीं आना चाहिए?
पहले संक्रमण हो चुका है तो अब दोबारा खतरा नहीं है
महामारी रोगों के विशेषज्ञ डॉ दीपक सक्सेना बताते हैं, अक्सर लोगों में यह गलतफहमी देखने को मिलती है कि अगर वह पहले कोरोना से संक्रमित रह चके हैं तो आगे उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं है। पहले से संक्रमण की स्थिति में निश्चित रूप से शरीर में प्रतिरक्षा विकसित होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको फिर से संक्रमण का खतरा नहीं है।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट तो यह कहती है कि जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है उनमें ओमिक्रॉन के संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है। इसके अलावा अध्ययनों से पता चलता है कि प्राकृतिक प्रतिरक्षा करीब 3-4 महीने तक बनी रह सकती है, ऐसे में खतरा सभी के लिए है।
ओमिक्रॉन के लक्षण हल्के हैं, ऐसे में डरने की जरूरत नहीं
अध्ययनों में पाया गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं, पर इसका मतलब यह नहीं है कि इससे बचाव की जरूरत नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने हाल ही में एक अपडेट में कहा कि ओमिक्रॉन वैरिएंट ‘बहुत अधिक’ जोखिम पैदा कर सकता है और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
एक ट्वीट में, डब्ल्यूएचओ के महामारी विज्ञानी डॉ मारिया वान केरखोव कहते हैं, वैसे तो कुछ रिपोर्टों में डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने का कम जोखिम बताया जा रहा है, फिर भी बहुत से संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। देश में ओमिक्रॉन से मौत के मामले भी सामने आए हैं।
वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों को ज्यादा फिक्र करने की जरूरत नहीं
इंटेंसिव केयर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ विवेक सहाय कहते हैं, ओमिक्रॉन के खतरे से बचने के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेना बहुत जरूरी है। हालांकि वैक्सीन लेने का यह मतलब नहीं है कि आपको संक्रमण नहीं हो सकता है। वैक्सीन, संक्रमण की गंभीरता और इसके कारण होने वाली मौत के खतरे को कम करने में आपकी मदद करती हैं।
वैक्सीनेशन करा चके लोगों को भी लगातार सावधानी बरतते रहने की जरूरत है। मौजूदा सभी टीके कोरोना के मूल रूप के आधार पर तैयार किए गए हैं, जबकि ओमिक्रॉन मूल रूप से हटकर कहीं अधिक म्यूटेटेड है। यही कारण है कि वैक्सीनेशन कराने के बाद भी लोगों को संक्रमण हो रहा है। पर अच्छी बात यह है कि उनमें संक्रमण के गंभीर मामले या अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम बहुत कम है।
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