नई दिल्ली। भारतवंशी ऋषि सुनक (Rishi Sunak) के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री (British Prime Minister) बनने से दोनों देशों के बीच संबंध प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। साथ ही विशेषज्ञों (experts) ने लंबित मुद्दों पर भी काम तेज होने की संभावना जताई है। हालांकि, इस दिशा में प्रगति दोनों देशों के अपने हितों के मद्देनजर ही होगी। ऐसा नहीं है कि ब्रिटेन की नीति (UK policy) भारत (India) के प्रति एकदम से बदल जाएगी।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर यूरोपीयरन स्टडीज के प्रोफेसर गुलशन सचदेव के अनुसार, भारत-ब्रिटेन के संबंध अभी भी अच्छे हैं। अब यह संबंध निश्चित रूप से प्रगाढ़ होंगे। सुनक का पीएम बनना भारत और ब्रिटेन में रहे रहे भारतीयों के लिए गौरव का विषय है। इससे ब्रिटेन में उनका सम्मान बढ़ेगा। जहां तक वीजा नीति या वर्क वीजा से जुड़े मामले हैं, उसमें नहीं लगता है कि कोई बड़ा बदलाव सिर्फ भारतीयों को ध्यान में रखकर होगा। हां, भारतीयों के लंबित मुद्दों का समाधान में तेजी आ सकती है। जैसे आईटी कार्मिकों के लिए उदार वीजा नियमों की जरूरत है। यह लंबित मुद्दा है। इस पर सार्थक पहल हो सकती है।
मुक्त व्यापार समझौता
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते का जहां तक प्रश्न है। इस विषय पर बातचीत चल रही है। यह पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की प्राथमिकता में भी था। लिज ट्रस भी इस पर कायम रही लेकिन, दिवाली पर यह लागू नहीं हो पाया। अब सुनक की प्राथमिकता ब्रिटेन के आर्थिक हालात, ऊर्जा से जुड़ी चुनौतियों और सियासी उथल-पुथल से निपटने की होगी। इसलिए मुक्त व्यपार समझौते पर विलंब तय है।
देश की राजनीति पर असर नहीं
सचदेव ने कहा कि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना वहां के लोकतांत्रिक प्रणाली की परिपक्वता एवं दृढ़ता को दर्शाता है। यह भी सही है कि एक अल्पसंख्यक के ब्रिटेन में प्रधानमंत्री बनने से भारत में विपक्षी दलों को अल्पसंख्यकों से जुड़ा एक मुद्दा मिल गया है। इसलिए इस विषय पर पक्ष-विपक्ष के बीच बहस लंबी चल सकती है। भारतीय राजनीति पर इस घटना का कोई अच्छा या बुरा प्रभाव नजर नहीं आ रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved