देहरादून (Dehradun)। बारिश-बर्फबारी (rain and snowfall) के दौरान एकाएक बढ़े जल रिसाव (water leakage) में गिरावट आ गई है। यहां जेपी कालोनी में रिसाव 114 लीटर प्रति मिनट की कमी आई है। दो रोज पहले यह रिसाव 250 एलपीएम हो गया था। आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार आज यह रिसाव घटकर 136 एलपीएम हो गया है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ (Joshimath) में अग्रिम राहत के तौर पर 3.62 करोड़ रुपये की धनराशि 242 प्रभावित परिवारों को दी जा चुकी है।
आपको बता दें कि उत्तराखंड (Uttarakhand) के शहर जोशीमठ (Joshimath) का संकट बद्रीनाथ हाईवे (Badrinath Highway) तक पहुंच गया है। यहां भी भू-धसाव की खबरें सामने आई हैं। जोशीमठ में घरों में दरारें और अजीब तरीके से सड़क से पानी का निकलने की वजह भूधंसाव मानी जा रही है। यहां के स्थानीय लोगों के अलावा सरकार की टीम ने भी यही कहा था कि जोशीमठ धंस रहा है, हालांकि अब भू वैज्ञानिकों ने कहा है कि वहां भूधंसाव नहीं है रहा है बल्कि बढ़ी हुई भूस्खलन की घटनाएं इसके लिए जिम्मेदार हैं।
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ द बायोस्फेयर स्पेस (CESBIO) के अध्ययन पर पीटली की रिपोर्ट भी आधारित है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 में भी डिफॉर्मेशन रेट बढ़ी थी। अनुमान है कि पहले जहां जमीन खिसकी थी वह क्षेत्र नदी के पास था। इससे कहा जा सकता है कि टो इरोजन की वजह से ही यह संकट खड़ा हुआ है। वहीं सेन के मुताबिक इस स्लाइडिंग के पीछे कई जहें हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि फरवरी 2021 की बाढ़ के बाद टो इरोजन इसमें प्रमुख कारण है। इसके अलावा डेटा कलेक्शन में सामने आया है कि बर्फबारी और खराब मौसम भी इसके पीछे कारण हो सकता है। स्लोप रीजन में भूस्खलन की वजहों में ज्यादा बारिश, टेक्टोनिक मूवमेंट और मानवीय गतिविधियां कारण हो सकती हैं। वहीं जोशीमठ जाकर अध्ययन करने वाले भूवैज्ञानिक एसपी सती और नवीन जुयाल का कहना है कि यहां भूधंसाव और भूस्खलन दोनों ही हो रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved