नई दिल्ली (New Delhi)। भारत (India) में कोरोना के केसेज डराने लगे (Corona cases started to scare) हैं। बीते कुछ दिनों में दिल्ली और मुंबई (Delhi and Mumbai) समेत देश के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के मामले तेजी (Corona cases boom) से सामने आ रहे हैं। इस बीच एक्सपर्ट का अनुमान (expert opinion) सामने आया है जो चौंकन्ना करने वाला है। इसके मुताबिक मई महीने के ठीक बीच में भारत में कोरोना अपने पीक पर होगा। इसके अलावा हर रोज 50 हजार से ज्यादा केसेज के आने की आशंका जाहिर की गई है।
तीन साल से सटीक भविष्यवाणी
यह भविष्यवाणी किसी और नहीं, बल्कि पिछले तीन साल से सटीक आंकड़े बताने वाले आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) के प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल (Professor Manindra Agarwal) ने की है। बता दें कि प्रोफेसर मणींद्र मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर कोरोना की भविष्यवाणी करते हैं। प्रोफेसर अग्रवाल ने आजतक के साथ बातचीत में यह बात कही है। प्रोफेसर मणिंद्र ने बीते कुछ दिनों में कोरोना के बढ़ते हुए केसेज के आधार पर स्टडी की है। अपनी इसी स्टडी के आधार पर उन्होंने मई में भारत में कोरोना के कोहराम की आशंका जताई है। प्रोफेसर के अनुमान के मुताबिक इस दौरान हर रोज 50 से 60 हजार तक केसेज आ सकते हैं।
नैचुरल इम्यूनिटी हो रही कम
आखिर देश में कोरोना के मामलों में इतना ज्यादा उछाल आने की वजह क्या होगी? इसको लेकर भी प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने वजह बताई है। उनके मुताबिक इसके पीछे कारण है लोगों के अंदर नैचुरल इम्यूनिटी में कमी होना। असल में जब इंफेक्शन होता है तो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। लेकिन अब लोगों के शरीर में यह क्षमता पांच फीसदी कम हो चुकी है। वहीं, नया कोरोना वैरिएंट भी पहले के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैल रहा है। कोरोना के केसेज में आने वाले उछाल के पीछे भी यही दो वजहें प्रमुख हैं।
कुछ राहत की भी बात
कोरोना को लेकर जहां एक तरफ केसेज में उछाल की बात चिंता बढ़ाने वाली है, वहीं दूसरी तरफ एक राहत की बात भी है। इसके मुताबिक कोरोना केसेज भले ही बहुत ज्यादा बढ़ जाएं, लेकिन यह उस तरह से घातक नहीं होंगे। प्रोफेसर अग्रवाल के मुताबिक इसको लेकर बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं हैं। कोरोना के मामले तो भले ही बहुत ज्यादा बढ़ जाएं, लेकिन यह लोगों के लिए बहुत ज्यादा घातक नहीं साबित होने वाले हैं। इसके अलावा मौतों की संख्या और लोगों के हॉस्पिटल में भर्ती होने वालों की संख्या भी कम ही रहेगी।
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