नई दिल्ली। चीन में कोरोना (Corona in China) का कोहराम पर भारत को गंभीर होने की जरूरत है, लेकिन घबराने की नहीं। इस वक्त हमारे पास सबसे बड़ा हथियार हाइब्रिड इम्युनिटी (Weapon Hybrid Immunity) है। यह हमारे सुरक्षा कवच को और ताकतवर बना रही है। यह कहना है देश के उन चर्चित स्वास्थ्य विशेषज्ञों का, जो तीन वर्ष से कोरोना की लड़ाई में फ्रंटलाइन पर मौजूद हैं।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व पल्मोनरी विभागाध्यक्ष व पीएसआरआई अस्पताल के चेयरमैन डॉ. जीसी खिल्लानी ने कहा कि हमारे लिए दो स्तर पर सतर्कता जरूरी है, एक पांच देशों से आने वालों की जांच, दूसरा कोविड प्रोटोकॉल (covid protocol) का पालन और एहतियाती खुराक है। सर गंगाराम अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अजय स्वरूप ने कहा कि जिन लोगों ने एहतियाती खुराक नहीं ली है उन्हें इसमें देरी नहीं करनी चाहिए। इस खुराक के बाद संक्रमित होता भी है तो भी उसे अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आने की आशंका बेहद कम है।
चीन-भारत के बीच यह बड़ा अंतर
विशेषज्ञों के अनुसार, चीन और भारत (China and India) के बीच कोरोना स्थिति समझने के लिए कुछ बिंदुओं पर चर्चा होना जरूरी है।
2020 में चीन ने जीरो पॉलिसी अपनाई थी, जिसकी वजह से वहां मामले सामने नहीं आए। इसके बाद कोरोना रोधी टीका आया, तो उन्होंने अपने यहां ही विकसित टीके को मान्यता दी, जिसकी सुरक्षा पर लगातार सवाल भी उठे हैं।
चीन में बुजुर्गों का टीकाकरण सबसे अधिक हुआ।
भारत में 2020 और 2021 में जैसे-जैसे जानकारियां मिलती गईं, हमारा सुरक्षा तंत्र भी बदलता गया।
हमारे यहां टीकाकरण 90 फीसदी से अधिक है और हमारे टीके वैज्ञानिक तौर पर बेहतर हैं।
एंटीबॉडी जांच के चक्कर में न पड़ें
मुंबई स्थित सिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि जब से कोरोना पर चर्चा ने जोर पकड़ा है, लोग एंटीबॉडी जांच कराने के पीछे पड़ गए हैं। जिन लोगों में एंटीबॉडी चार से पांच हजार मिल रही है, वे मान रहे हैं कि उन्हें कोरोना नहीं होगा, उनके शरीर में पर्याप्त एंटीबॉडी हैं और उन्हें एहतियाती खुराक लेने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जानकारी रखना बेहद गंभीर हो सकता है। एंटीबॉडी जांच कराने से संक्रमण की रोकथाम या फिर मरीज के इलाज वगैरह पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है।
क्या है हाइब्रिड इम्युनिटी?
हाइब्रिड इम्युनिटी यानी वह प्रतिरक्षा जो रोग से लड़ने की ताकत देती है। यह वायरस के इंफेक्शन या हर्ड इम्युनिटी या फिर वैक्सीन लेने के बाद उसके असर से पैदा होती है। इससे एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाता है।
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