काहिरा। मिस्र के पिरामिड न सिर्फ प्राचीन इतिहास की कहानी सुनाते हैं, इनसे जुड़े इतने रहस्य हैं कि आज तक कोई नई जानकारी सामने आ रही है। 18वीं सदी के इतिहास में मिस्र के गीजा में एक चौथे ‘ग्रेट पिरामिड’ का जिक्र भी है। यह पिरामिड अब तक एक पहेली बना था। अब जेसन कोलावीटो नाम के लेखक ने दावा किया है कि उन्होंने यह पहेली सुलझा ली है। अभी तक खुफू, खाफरी और मेकॉरे नाम के तीन ग्रेट पिरामिड ही गीजा में मिले हैं।
1775 की किताब ‘Voyage d’Egypte et de Nubie’ में डेनमार्क के नौसैनिक कप्तान और कार्टोग्राफर फ्रेडेरिक लूई नॉर्डेन ने इस चौथे पिरामिड का जिक्र किया है जिस पर कोलावीटो ने खुलासा किया है।
दरअसल, कोलावीटो का कहना है कि चौथा पिरामिड दरअसल एक सैटलाइट पिरामिड है जिसे नॉर्डेन ने चौथा ग्रेट पिरामिड माना है। अब खस्ताहाल हो चुके पिरामिड के आखिर में एक क्यूब आकार है जबकि इसके पूर्वी हिस्से में ऐसा मलबा है जिसे नॉर्डेन ने ‘ग्रेट हीप’ बताया है। कोलावीटो का कहना है कि नॉर्डेन ने कई ऑब्जेक्ट्स की लंबाई आकने में गलती की है। इसलिए हो सकता है कि चौथा पिरामिड भी उनकी गलतफहमी हो।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved