इंदौर । मेट्रो (metro) के लिए शासन, मेट्रो कार्पोरेशन, नगर निगम (Government, Metro Corporation, Municipal Corporation) आदि तैयारी कर रहे हंै। यदि मेट्रो को मौजूदा स्थान एयरपोर्ट, गांधी नगर (Airport, Gandhi Nagar) से रोबोट चौराहे (Robot Square) के बीच चलाया गया तो ट्रेन एवं स्टेशन व अन्य कार्यों पर ट्रेन के नियत स्थान पर पहुंचाने के लिए दस हजार रुपए (Ten thousand rupees) की बिजली (electricity) लगेगी, जिसमें एक हजार से बारह सौ यूनिट के करीब बिजली का उपयोग माना जा रहा है।
मेट्रो ट्रेन के संचालन को लेकर शहर में उत्साह बना हुआ है। मेट्रो का पहला चरण आगामी तीन से चार माह में शुरू होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। मेट्रो ट्रेन के लिए ओवरहेड की बजाए थर्ड रेल से बिजली सप्लाय होती है। तीसरी पटरी सामान्य तौर पर पीले रंग की होती है। इसे तकनीकी भाषा में कंडक्टर रेल भी कहा जाता है। इंजन के पहिए के समीप ट्रेन के निचले हिस्से में एक भारी उपकरण लगा होता है, इसे शू फेज कहा जाता है। जिस तरह हमारे जूते शरीर का पूरा भार सहन करते हं, चलने के दौरान पैर, अंगुलियों, अंगूठे की हिफाजत करते है,ं उसी तरह ट्रेन के पहियों के बीच शू फेज सेक्शन ही ट्रेन के लिए सारी बिजली ग्रहण करने का कार्य करता है। इस सेक्शन में शू फेज, स्ट्रिंगर, शू बिम, एडजस्टर व अन्य महत्वपूर्ण उपकरण सेटअप के रूप में लगे होते हैं। ये थर्ड रेल से उच्चदाब स्तर की बिजली सतत लेते हैं। थर्ड रेल में बिजली मेट्रो के कंट्रोल सेंटर से जोड़ी जाती है। मेट्रो के कंट्रोल सेंटर में बिजली आपूर्ति मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करती है। कंपनी से मेट्रो के लिए यह बिजली टीसीएस चौराहे के पास पैंथर लाइन से मिली है। इस पैंथर लाइन पर 33 केवी की पैंथर ए और पैंथर बी डबल सप्लाय है। एक में कभी अवरोध भी आया तो अगले ही सेकंड मेट्रो के लिए दूसरी लाइन से बिजली मिलने लगेगी। टीसीएस चौराहे के पास 10 मेगावाट के पावर ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं।
मेट्रो जितने ज्यादा फेरे लगाएगी, बिजली उतने ही अनुपात में ज्यादा लगेगी। सामान्य तौर पर यह माना जाए कि मेट्रो के लिए चार रैक एयरपोर्ट, गांधी नगर से रोबोट चौराहे तक पहुंचेंगे। यदि एक रैक तीन बार आता और तीन बार जाता है तो एक रैक से छह बार हजार से बारह सौ यूनिट बिजली लगेगी। चार रैंक से कुल 28 से 30 हजार यूनिट बिजली लगेगी। इसकी कीमत करीब ढाई लाख से तीन लाख रुपए दैनिक होने की संभावना है। इस तरह मेट्रो के पहले चरण में कम से कम एक करोड़ रुपए की बिजली लगना तय है। मेट्रो के पूरे आपरेशनल होने पर यह आंकड़ा दो से तीन करोड़ संभव है।
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