भोपाल। महापौर, अध्यक्ष, पार्षद पद के अभ्यर्थियों के निर्वाचन में अभ्यर्थियों द्वारा किए जाने वाले व्यय पर नियंत्रण रखने और उनके द्वारा प्रस्तुत निर्वाचन व्यय लेखा के सूक्ष्म परीक्षण तथा निरीक्षण के लिए छाया प्रेक्षण पंजी रखी जाएगी। जानकारी के अनुसार आयोग द्वारा निर्वाचन व्यय लेखा पंजी व डिजाइन की गई है। जिसे चार खंडों में बांटा गया है। इसमें प्रोफार्मा क निर्वाचन व्यय का दिन प्रतिदिन का लेखा रजिस्टर होगा। अभ्यर्थियों द्वारा प्रतिदिन के लेखे के रखरखाव के लिए नकद रजिस्टर प्रोफार्मा ख में होगा। निर्वाचन लडऩे वाले अभ्यर्थियों द्वारा दिन प्रतिदिन के लेखे के रखरखाव के लिए बैंक रजिस्टर प्रोफार्मा ग में रहेगा तथा प्रोफार्मा घ शपथ पत्र रहेगा। समय-समय पर जो खर्च के विवरण अभ्यर्थी देगा, उसके मिलान छाया प्रेक्षण पंजी के आंकड़ों से किए जाएंगे। मिलान ना होने या विसंगति दृष्टिगोचर होने पर अभ्यर्थी को कारण बताओ नोटिस जारी कर समाधान किया जाएगा।
निकाय चुनावों की अवधि सात से दस दिन रखी जाए
उधर नेताओं ने निर्वाचन आयोग से निकाय चुनाव की प्रक्रिया सात से दस दिन में संपन्न कराने की मांग की है। उनके अनुसार लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों को प्रचार के लिए 14 दिन का समय दिया जाता है तो निकाय चुनाव में सात से दस दिन का समय देना उपयुक्त होगा। निर्वाचन आयोग अब तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह ही निकायों के चुनाव में भी 14 दिन पूर्व अधिसूचना जारी करता रहा है। इससे चुनाव प्रक्रिया पूरी होने में काफी वक्त लगता है और आमजन को परेशानी उठाना पडती है। लोकसभा सीट का क्षेत्र 8-10 विधानसभा क्षेत्रों तक फैला रहता है और विधानसभा सीट का क्षेत्र भी शहर से लेकर ग्रामीण स्तर पर विस्तारित है, इसलिए इनके चुनाव में 14 दिन पर्याप्त है, लेकिन नगरीय निकायों में इतना विस्तारित क्षेत्र नहीं होता। निकाय चुनाव सात से दस दिन में आसानी से पूरे कराए जा सकते हैं। इसमें प्रत्याशियों को पर्याप्त समय मिलेगा और उनका चुनाव खर्च भी बचेगा। चुनाव प्रचार के दौरान उपजने वाली समस्याओं से आम जनता भी राहत में रहेगी।
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