मालवा-निमाड़ में औद्योगिक बिजली की खपत 2019 के बराबर
इंदौर, कमलेश्वरसिंह सिसौदिया।
मालवा-निमाड़ के इंदौर, रतलाम, उज्जैन, समेत विभिन्न जिलों में कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) के दौरान भी औद्योगिक गतिविधियां ( industrial activities) निर्बाध रूप से जारी रहीं। फलस्वरूप मजदूरों को रोजगार मिला, उत्पादन होने से व्यापारिक गतिविधियां संचालित होती रहीं। सबसे बड़ा लाभ यह रहा कि श्रमिकों (laborers) का पलायन भी नहीं हुआ। औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली (electricity) कंपनी ने भी गुणवत्तापूर्ण बिजली वितरित की।
पश्चिम मप्र की औद्योगिक इकाइयों में सबसे ज्यादा इंदौर, उज्जैन, पीथमपुर, देवास और रतलाम में हैं। जनता कर्फ्यू (Public Curfew) के दौरान अप्रैल और मई में हर जिले में भी तकरीबन उत्पादन जारी रहा। उत्पादित माल बाहर भेजा जाता रहा। इससे श्रमिक वर्ग को रोजगार में दिक्कत नहीं आई। उपभोक्ताओं को ही प्रशासन के आदेशानुसार कभी दुकानों से तो कभी होम डिलीवरी (home delivery) के माध्यम से जरूरी सामान मिलता रहा। बिजली कंपनी (electricity company) की मानें तो मालवा और निमाड़ में लगभग 600 मेगावाट बिजली अप्रैल और मई के दौरान अब तक रोज लगती रही है। यह बिजली वर्ष 2020 की तुलना में ज्यादा है, क्योंकि पिछले वर्ष औद्योगिक इकाइयों को अनुमति नहीं थी, जबकि वर्ष 2019 की तुलना में लगभग बराबर है। औद्योगिक इकाइयों में सबसे ज्यादा उत्पादन जनवरी-फरवरी में होता है। इस वक्त पानी की भी कोई कमी नहीं होती है। दिन अपेक्षाकृत बड़े होते हैं और भीषण गर्मी (summer) की स्थिति भी नहीं होती है।
तीन साल का तुलनात्मक आंकड़ा
फरवरी 19 619 मेगावाट
फरवरी 20 671 मेगावाट
फरवरी 21 679 मेगावाट
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मार्च 19 570 मेगावाट
मार्च 20 472 मेगावाट
मार्च 21 611 मेगावाट
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अप्रैल 19 594 मेगावाट
अप्रैल 20 294 मेगावाट
अप्रैल 21 587 मेगावाट
मालवा और निमाड़ के सभी जिलों के इंजीनियरों को औद्योगिक इकाइयों को गुणवत्तापूर्ण बिजली देने के निर्देश दे रखे हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान भी हमारी आपूर्ति बेहतर रही, मांग में कोई कमी देखने को नहीं मिली। यह सकारात्मक संकेत भी है।
अमित तोमर, एमडी, मप्रपक्षेविविकं, इंदौर
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