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    Pakistan में सिखों का अस्तित्व संकट में, इस्लामिक संगठनों की बर्बरता के कारण हो रहा पलायन

    June 01, 2022

    नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) में जिस तरह से सिख समुदाय (Sikh community targeted killings) को लक्ष्य कर निशाना बनाया जा रहा है, उससे वहां सिख समुदाय के अस्तित्व को लेकर गंभीर संकट (serious existential crisis) पैदा हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में इस्लामी संगठन (Islamic organization) धार्मिक अल्पसंख्यकों (religious minorities) को लक्षित निशाना बना रहा है. उनकी हत्याएं, अपहरण और जबरन धर्मांतरण ने धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान का माहौल असहनीय बना दिया है।

    रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में सिखों पर हमले रोजाना का मामला बन गया है. एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताहिक हाल ही में 15 मई को एक क्रूर घटना में पेशावर के खैबर पख्तूनख्वा (KP) प्रांत के बाहरी इलाके में दो सिख व्यापारियों कुलजीत और रंजीत सिंह की निर्मम हत्या कर दी गई थी।


    2014 से अब तक 12वीं हत्या की घटना
    2014 के बाद से यह 12वीं घटना है जिसमें सिखों को लक्ष्य करके निशाना बनाया गया है. इसके अलावा पिछले साल पेशावर में यूनानी प्रैक्टिस करने वाले सतनाम सिंह की क्लिनक से बाहर निकलते ही गोली मार दी गई थी. पाकिस्तान की मानवाधिकार संस्था ने भी इस हत्या की निंदा की है और कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब खैबर पख्तूनख्वा में सिखों की हत्या की गई है. यह लक्षित हत्या और इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को शीघ्र सजा मिलनी चाहिए।

    पिछले दो दशक में सिख समुदायों की संख्या बहुत कम हो गई है. वे अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान रखते हैं लेकिन इस्लामिक चरमपंथी उन्हें लक्षित निशाना बना रहे हैं. उनका जबरन धर्मांतरण कराया जा रहा है. इन सब कारणों से खैबर पख्तूनख्वा में उनकी जनसंख्या खतरे में पड़ गई है।

    घर से निकलने के बाद पता नहीं रहता वे सुरक्षित वापस आएंगे या नहीं
    कनाडा के विश्व सिख संगठन (डब्ल्यूएसओ) ने भी पेशावर हत्याओं की कड़ी निंदा की और पाकिस्तान के सिख समुदाय की सुरक्षा के लिए गहरी चिंता व्यक्त की है. सिख संगठन ने अपने बयान में कहा है कि संगठन का मानना है कि पाकिस्तान में सिख समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्हें यह भी नहीं पता कि जब वे घर से निकलते हैं तो सुरक्षित घर में वापस आ पाएंगे या नहीं. खैबर पख्तूख्वा में ज्यादातर सिख समुदाय आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हैं. ये लोग आम तौर पर ग्रोसरी की दुकान चलाते हैं या हकीम बन जाते हैं. एशियन लाइट के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिलने के कारण ये लोग यहां से पलायन करने को मजबूर है।

    सिख समुदाय को मोहभंग हो रहा है
    पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के मुताबिक करीब 15 से 20 हजार सिख समुदाय के लोग अब तक पाकिस्तान छोड़ चुके हैं जिनमें 500 पेशावर से थे. 2020 के जनवरी में एक हिंसक भीड़ ने ननकाना साहिब गुरुद्वारा पर हमला बोल दिया था. इस क्रुर घटना ने पाकिस्तान के पूरे सिख समुदाय को हिला कर रख दिया था. इसके बाद सिखों के लिए पंजाब राज्य भी सुरक्षित नहीं रहा. पाकिस्तान में ‘शरिया कानून’ लागू करने की मांग बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही सिख अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों में लगातार वृद्धि हो रही है. इन सब परिस्थितियों में सिखों के लिए पाकिस्तान में अपना अस्तित्व बचाना चुनौतीपूर्ण हो गया है. पाकिस्तान में रह रहे जो अल्पसंख्यक सिख समुदाय पहले ये सोचते थे कि वे बहुसंख्यक मुसलमानों के साथ शांतिपूर्वक रह सकता है. उनका अब मोहभंग होने लगा है।

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