इंदौर। टीके (Vaccines) का टोटा है अन्यथा इंदौर तो कब से शत-प्रतिशत वैक्सीनेट (Vaccinate) हो जाता है। 18 साल से 44 साल की उम्र में 70 फीसदी इंदौरी (Indore) आबादी तो वैक्सीनेट (Vaccinate) हो भी गई है, जबकि संभाग के अन्य जिले औसत 30 फीसदी तक ही वैक्सीनेट (Vaccinate) हो सके हैं। आज भी शहर में 67 सेंटरों पर कोवैक्सीन का दूसरा डोज (Second Dose) ही लगाया जाएगा और लगभग 62 हजार डोज प्राप्त हुए हैं। इसी तरह अब 5 जुलाई यानी सोमवार को कोविशिल्ड का भी दूसरा डोज ही इंदौर में लगेगा। उसकी भी संख्या लगभग 32 हजार डोज की रहेगी। इंदौर (Indore) सहित पूरे प्रदेश में ही 2 दिन दूसरे डोज का ही विशेष अभियान (Campaign) चलाया जा रहा है।
इंदौर (Indore) में तो वैक्सीन (Vaccines) लगवाने की होड़ मची है और अभी दो दिन पहले भी लगभग 75 हजार लोगों ने वैक्सीन (Vaccines) लगवा ली, उसके बाद अधिकांश सेंटरों पर वैक्सीन (Vaccines) ही खत्म हो गई। नतीजतन आज सिर्फ कोवैक्सीन का ही दूसरा डोज (Second Dose) लगाया जा रहा है। इंदौर (Indore) जिले में 18 साल से 44 साल की उम्र की आबादी लगभग 18 लाख से अधिक वोटर लिस्ट के आधार पर बताई गई है, जिसमें से साढ़े 12 लाख से अधिक लोगों को पहली डोज लगाई जा चुकी है। इनमें से कुछ लोगों को हालांकि दूसरी डोज (Second Dose) भी लगी है। यानी 70 फीसदी आबादी को वैक्सीन (Vaccines) का डोज लग गया है और अगर 18 साल से अधिक उम्र की पूरी आबादी की बात करें तो 75 फीसदी से अधिक को वैक्सीन (Vaccines) लग चुकी है। इसकी तुलना में संभाग के अन्य जिले अलीराजपुर, बड़वानी, बुरहानपुर, धार, झाबुआ, खंडवा और खरगोन फिसड्डी साबित हुए हैं, जहां पर औसतन 30 फीसदी तक ही अभी वैक्सीनेशन चिन्हित आबादी का हुआ है। यही कारण है कि इंदौर के डोज घटाकर अब इन जिलों को दिए जा रहे हैं। इंदौर (Indore) में एर्जन वार्ड भी शत-प्रतिशत वैक्सीनेट करने का दावा निगम ने किया है। वैसे तो टीके का टोटा ना होता तो सभी 85 वार्ड और ग्रामीण क्षेत्र भी अभी तक वैक्सीनेट (Indore) हो जाते, क्योंकि कलेक्टर मनीष सिंह ने पूरे अमले को वैक्सीनेशन में झोंक दिया और जनता ने भी बढ़-चढक़र उत्साह दिखाया और अधिकांश सेंटरों पर लम्बी-लम्बी कतारें और अच्छी-खासी भीड़ भी वैक्सीनेशन के दौरान नजर आई। अब आज 67 सेंटरों पर 62 हजार कोवैक्सीन के दूसरे डोज लगाए जाएंगे और इसी तरह 5 जुलाई को भी कोविशिल्ड का ही दूसरा डोज (Second Dose) लगेगा, जिसके लिए लगभग 32 हजार डोज इंदौर (Indore) जिले को मिले हैं, लेकिन पहला डोज लगवाने वालों को अभी इंतजार करना पड़ रहा है। बीते दो दिनों से वैक्सीनेशन बंद है और अगले दो-तीन दिन और नहीं होगा।
एक तरफ सबसे ज्यादा वैक्सीन लगाने में इंदौर (Indore) जिला सबसे अव्वल रहा तो उससे संबंधित सबसे ज्यादा कचरा भी एकत्रित किया गया। 21 जून को वैक्सीनेशन का महाअभियान चलाया गया और 24 घंटे में ही 2 लाख 22 हजार से अधिक वैक्सीन डोज लगाए गए थे। उस दिन से लेकर अभी 30 जून तक प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने वैक्सीनेशन सेंटरों से जो बायोमेडिकल वेस्ट यानी वैक्सीन वॉयल की खाली शीशी, डिस्पोजेबल सीरिंज, कॉटन सहित अन्य सामग्री एकत्रित की, वह लगभग 2 हजार किलो होती है। प्रशासन ने वैक्सीनेशन सेंटरों से निकलने वाले इस मेडिकल वेस्ट के सुरक्षित निपटान की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी गई। लिहाजा अलग-अलग स्थानों पर बने फोकल पाइंट से यह वैक्सीनेशन का कचरा एकत्रित किया जाता है, जिसका सुरक्षित तरीके से निपटान भी इन्सनरेटर के जरिए किया जाएगा। उसके पूर्व कोविड मरीजों का सबसे अधिक कचरा इंदौर से ही निकला।
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