तिरुवनंतपुरम। केरल उच्च न्यायालय (Keral high court) ने शुक्रवार को इसरो जासूसी मामले (ISRO espionage case) में गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (Ex-Gujarat DGP) आरबी श्रीकुमार और तीन अन्य को अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) दे दी।
इस मामले को सीबीआई ने दोबारा खोला है। मामले में श्रीकुमार की भूमिका इंटेलिजेंस ब्यूरो के उप निदेशक के रूप में थी। उनके तत्कालीन सहयोगी पीएस जयप्रकाश और केरल पुलिस के दो पूर्व अधिकारी एस विजयन और थंपी एस दुर्गादत्त, को शुक्रवार को अग्रिम जमानत दे दिया गया। इन्हें पहले ही अंतरिम जमानत मिल चुकी थी।
जून में सीबीआई द्वारा तिरुवनंतपुरम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दर्ज एक नई प्राथमिकी में विजयन और दुर्गादत्त पहले और दूसरे आरोपी हैं।
इस प्राथमिकी में केरल पुलिस और आईबी के पूर्व शीर्ष अधिकारियों समेत 18 लोगों पर साजिश रचने और दस्तावेजों को गढ़ने का आरोप लगाया गया है।
यह मामला पहली बार नब्बे के दशक के मध्य में सामने आया था, लेकिन पीड़ित एस. नंबी नारायणन के लिए चीजें बदल गईं, जो इसरो के पूर्व वैज्ञानिक थे। कई लंबी अदालती लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में सेवानिवृत्त न्यायाधीश डी.के. जैन को यह जांच करने के लिए कहा कि क्या तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के बीच नारायणन को झूठा फंसाने की साजिश थी।
28 जून को, सीबीआई (दिल्ली स्पेशल यूनिट) की एक नई टीम इसरो जासूसी मामले को सुलझाने की कोशिश करने के लिए राज्य की राजधानी में पहुंची। सीबीआई, पुलिस और केरल की जांच टीमों की ओर से कोई साजिश होने पर मामले को एक अलग कोण से देखेगी।
जब तत्कालीन पुलिस और आईबी अधिकारियों को लगा कि सीबीआई की नई टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी है और उनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया जा सकता है, तो उन्होंने जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
इसरो जासूसी का मामला 1994 में सामने आया, जब नंबी नारायणन को इसरो के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी, मालदीव की दो महिलाओं और एक व्यवसायी के साथ जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सीबीआई ने 1995 में नारायणन को मुक्त कर दिया और तब से वह उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने मामले की जांच की और उन्हें झूठा फंसाया। नारायणन को अब केरल सरकार सहित विभिन्न एजेंसियों से 1.9 करोड़ रुपये का मुआवजा मिला है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved