नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता द्वारा तैयार ड्राफ्ट मुद्दों को सभी पक्षकारों को दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुरुवार तक सभी पक्षकार अपने-अपने मुद्दे तैयार कर लें.
अब सुप्रीम कोर्ट 8 सितंबर को यह तय करेगा कि आगे मामले की सुनवाई किस तरीके से और कितने समय में की जाए. केन्द्र सरकार ने 103 वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए शैक्षणिक संस्थानों में दाखिलों तथा लोक सेवाओं में आरक्षण का प्रावधान जोड़ा था. इसकी संवैधानिक वैधता को याचिका में चुनौती दी गई है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली संविधान की पांच सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इससे पहले 30 अगस्त को प्रधान न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित, न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी, न्यायमूर्ति रविंद्र भट्ट, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा था वह प्रक्रियागत पहलुओं तथा अन्य ब्योरों पर छह सितंबर को निर्णय लेगी और 13 सितंबर से याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हम दोनों पक्षों को कुछ अतिरिक्त समय दे सकते हैं. यह 5 कार्य दिवस हो सकता है. यानी पहले सप्ताह में तीन कार्य दिवस और दूसरे सप्ताह में दो कार्य दिवस. चीफ जस्टिस ने कहा है कि हम अगले मंगलवार से मामले की सुनवाई शुरू करते हैं. इस पर सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रत्येक पक्ष के लिए दो दिन का समय काफी कम है. इस पर चीफ जस्टिस ने मौखिक रूप से कहा कि सामान्य जवाबदेही सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया पूरी की जाएगी और इसके बाद तदनुसार अदालत मामले की सुनवाई करेगी.
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